भुवनेश्वर में हिंद महासागर से जुड़े देशों का सम्मेलन
जाने-माने इतिहासकारों के मुताबिक हिंट महासागर के किनारे बसे तटीय देशों के बीच व्यापार सुगमता होने के कारण आर्थिक रुप से समृद्धि भी हो रही थी। लेकिन धीरे-धीरे मुल्कों के बीच कड़वाहट बढ़ने लगी जिससे कि विकास ठप्प हो गया।
रिसर्च एंड इनफार्मेशन सिस्टम फाॅर डवलपिंग कंट्रीज और इंस्टीटयूट आॅफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत श्रीलंका और मालदीव के साथ अपने त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को महत्व देता है और इसमें अन्य को शामिल कर इसका विस्तार करने का प्रयास कर रहा है।
स्वराज के मुताबिक हिंद महासागर तटीय क्षेत्र के देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में और फिलहाल मौजूद अनेक औपचारिक तथा अनौपचारिक ढांचों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। उन्होंने कहा, हम श्रीलंका और मालदीव के साथ अपने त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को महत्व देते हैं। उन्होने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्रा में खासतौर पर सेशेल्स और माॅरीशस को शामिल करने के लिए इसके विस्तार की संभावनाओं को तलाश रहे हैं। सुषमा ने कहा कि भारत समुद्री क्षेत्र में करीबी सहयोग बनाने, द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास नियमित करने और सभी क्षेत्रीय देशों की नौसेनाओं और तटरक्षकों के बीच संवाद को मजबूत करने को लेकर आशान्वित है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बात पर जोर दिया कि अगर समुदी तटों व्यापार सुगमता से होगा तो उड़ीसा जैसे पिछड़े राज्यों का भी विकास होगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि उड़ीसा अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है। अगर इस संस्कृति और सभ्यता को व्यापार से जोड़ दिया जाए तो विकास की संभावनाएं और बढ जाती हैं। इस सम्मेलन में 20 देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया और अपने अनुभवों को साझा किया।