सोयामील निर्यात पांच साल में ठप होने की आशंका
मुंबई। देश के बड़े हिस्से में किसानों की आजीविका का आधार सोयामील का निर्यात पांच साल के अंदर पूरी तरह ठप हो सकता है। हालांकि, घरेलू और वैश्विक स्तर पर इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। कृषि कारोबार से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था राबोबैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत से सोयामील के निर्यात में गिरावट ऐसे ही जारी रही तो पांच साल में ठप हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले तीन साल से भारत का आॅयल मील का निर्यात तेजी से घटा है। साल 2011-12 में निर्यात 56 लाख टन था जो अगले साल घटकर 48.5 लाख टन तथा 2013-14 में घटकर 43.3 लाख टन रह गया।
राबोबैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, निर्यात में कमी से गैर-जीएम सोयामील की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है जिसका भारत वैश्विक स्तर पर प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश है। इससे सोयामील के घरेलू उत्पादन को फिर से बल मिलेगा। भारत दक्षिण पूर्व एशिया को सोयामील व मक्के के प्रमुख निर्यातक देशों में से एक है।
तेजी से बढ़ रही है घरेलू मांग
पशुओं के फीड में इस्तेमाल के चलते सोयामील और कॉर्न की घरेलू मांग बढ़ रही है। भारत यूरोप और जापान को गैर-जीएम सोयामील का निर्यात करने वाला प्रमुख देश है जबकि यहां से काफी सोयामील और कॉर्न दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को भी जाता है। लेकिन उत्पादन की चुनौतियों को देखते हुए भारत का सोयामील निर्यात घटता जा रहा है।
राबोबैंक के विश्लेषक पवन कुमार के मुताबिक, अगर यही रुझान जारी रहा तो अगले पांच वर्षों के अंदर भारत का सोयामील निर्यात नगण्य हो जाएगा। सोयाबीन के उत्पादन में कमी का असर देश की ऑयलसीड क्रशिंग इंडस्ट्री पर भी पड़ सकता है। भारत से सोयामील के निर्यात में कमी को देखते हुए दक्षिण-पूर्व एशियाई लैटिन अमेरिकी देशों से आयात के विकल्प तलाश सकते हैं।