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19 September 2015

गहरे समुद्र से गैस लाने की परियोजना अधर में

दक्षिण एशिया गैस इंटरप्राइज (सेज) द्वारा प्रस्तावित 4 अरब डॉलर की गहरे समुद्र पाइपलाइन परियोजना को पाकिस्तान से गुजरते हुए ईरान-पाकिस्तान-भारत की जमीन से होकर निकलना था लेकिन भूराजनीतिक और सुरक्षा कारणों से भारत को इस परियोजना पर फैसला वापस लेना पड़ जाएगा। यह समुद्री मार्ग पाकिस्तान के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के बाहर से गुजरता था जिधर से ईरान के चाबहार और ओमान के रास अल जिफान से से प्रतिदिन 1.1 अरब घनफुट गैस का परिवहन गुजरात के पोरबंदर तक किया जाता और बाद में मुंबई तक पहुंचाया जाता।

सेज ने पिछले साल मई में पेट्रोलियम मंत्रालय के समक्ष दावा किया था कि प्रस्तावित पाइपलाइन के निर्णायक मार्ग में न्यूनतम राजनीतिक जोखिम होगा। लेकिन समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र समझौता (यूएनसीएलओएस) में 19 मार्च को पाकिस्तान के अधिकार वाले 150 किलोमीटर के समुद्री मार्ग को भी शामिल कर लेने के बाद परिस्थितियां बदल चुकी हैं। 220 नौटिकल मील से लेकर 350 नौटिकल मील की दूरी वाले इस महाद्वीपीय हिस्से को शामिल करने से पाकिस्तान को खनन और खनिज स्रोतों के इस्तेमाल संबंधी विशेष अधिकार मिल जाएंगे और इसके ईईजेड के अनुसार इस क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन भी इसी के अधिकार क्षेत्र में आ जाएगा।

भारत का मानना है कि पाकिस्तान को इस समुद्री पाइपलाइन का कोई फायदा नहीं मिलेगा इसलिए शायद वह अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र से पाइपलाइन गुजरने की इजाजत नहीं देगा, जैसाकि सन 1995 में इस्लामाबाद ने ओमान से भारत तक पहुंचने वाली प्रस्तावित गैस पाइपलाइन परियोजना को रोक दिया था क्योंकि यह परियोजना भी इसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र से गुजरती थी।

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TAGS: Iran, Oman, pakistan, UN, Gas pipeline, सेज, चाबहार, रास अल जिफान
OUTLOOK 19 September, 2015
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