Advertisement
04 July 2019

आर्थिक सर्वेक्षण: चीन जैसा ग्रोथ रेट मॉडल और श्रम सुधारों पर जोर, रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की वकालत

 मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी.सुब्रमण्यन ने अपना पहला आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है। सर्वेक्षण में प्रमुख रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले 5 साल में कैसे 5 लाख करोड़ डॉलर की बनाया जाय, इसका रोडमैप पेश किया गया है। साथ ही अर्थव्यवस्था में गिरती ग्रोथ रेट, बढ़ती बेरोजगारी और कॉरपोरेट सेक्टर की राह में आ रहे रोड़े और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इसका भी ब्यौरा दिया गया है। सुब्रमण्यन ने ग्रोथ रेट के लिए चीन के मॉडल को तरजीह दी है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे चीन में ग्रोथ रेट बढ़ी, सेविंग्स को इन्वेस्ट करने की रेट भी बढ़ी. इसके चलते इकोनॉमी को बूस्ट मिला और ग्रोथ रेट में और इजाफा होता चला गया. हमें भी इस तरीके को अपनाने की जरूरत है। इसके अलावा रोजगार बढ़ाने के लिए छोटे और मझोले उपक्रमों को इन्सेंटिव देने से लेकर श्रम सुधार को जल्द से जल्द लागू करने की भी वकालत उन्होंने की है। इसके अलावा घटती जन्म दर को देखते हुए रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है।

इस साल 7.0 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान

 सर्वेक्षण में मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में 7.0 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया गया है। उसके अनुसार बीते वित्त वर्ष 2018-19 मे आर्थिक विकास में आई गिरावट की प्रमुख वजह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में आया संकट है। बीते वर्ष फसलों के दाम में गिरावट रही और कृषि उत्पादन भी सुस्त रहने की आशंका है। उसके अनुसार निवेश की दर अपने निचले स्तर तक पहुंच चुकी है। बीते वित्त वर्ष में विकास दर 6.8% रही थी। बीते वर्ष कृषि, व्यापार, परिवहन, संचार और ब्रॉडकास्टिंग आदि सेवाओं में सुस्ती के कारण विकास दर धीमी रही। जबकि बीते पांच साल में औसत विकास दर 7.5 फीसदी रही। इसी तरह राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 3.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।

Advertisement

हर साल 8 फीसदी ग्रोथ रेट की जरूरत

 सर्वेक्षण में  कहा गया है कि देश को 5 लाख करोड़ की इकोनॉमी बनाने के लिए हमें ग्रोथ रेट को न केवल बढ़ाना होगा, बल्कि बढ़ी हुई ग्रोथ रेट को बरकरार भी रखना होगा. यह ग्रोथ रेट अगले 5 साल 8 फीसदी की होनी चाहिए. इस लक्ष्य को पाने के लिए निवेश बढ़ाने पर जोर देना जरूरी है। सुब्रमण्यन ने कहा कि जैसे—जैसे सेविंग को निवेश में लगाया जाएगा, डिमांड और खपत में बढ़ोत्तरी होगी. साथ ही उत्पादकता भी बढ़ेगी, जिससे निर्यात में भी तेजी आएगी।

 नौकरियों के लिए छोटों पर फोकस

 सीईए ने कहा कि देश में जिस हिसाब से कंपनियां हैं, उस लिहाज से नौकरियां नहीं पैदा हो रही हैं। छोटे और मझोली कंपनियों की मैन्युऱैक्चरिंग सेक्टर में 85 फीसदी हिस्सेदारी है लेकिन उनमें रोजगार अवसर पैदा करने की ग्रोथ केवल 23 फीसदी है. इसलिए रोजगार के मोर्चे पर काम करने की जरूरत है. इसमें श्रम सुधार की अहम भूमिका होगी। साथ हीडेटा लगातार सस्ता हो रहा है और इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है. सरकार इसे पब्लिक गुड बनाने के लिए निवेश कर रही है और नए रास्ते तैयार कर कर रही है, जिसका फायदा मिलेगा

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए न्यायपालिका में सुधार जरूरी

आर्थिक सर्वेक्षण में न्यायपालिका की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए भी सलाह दी गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में ईज ऑफ डूइंग में सबसे बड़ी बाधा अनुबंधों को लागू करने और विवादों के निपटारे में देरी है। इसके लिए न्यायपालिका की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए और जजों की नियुक्ति और कोर्ट की छुट्टियों की संख्या में कटौती की सलाह दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के मुताबिक, देश में कुल 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं। इनमें अधिकांश जिला और निचली अदालतों में लंबित हैं।

इसमें कहा गया है कि भारत ने अनुबंधों को लागू करने जैसे संकेतकों की वजह से 2018 की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) की 2018 की रिपोर्ट में 164 से 163 यानी महज एक पायदान ही छलांग लगा पाई। इसके मुताबिक, अनुबंधों को लागू करने और विवादों के निपटारे में देरी देश में ईओडीबी और उच्च जीडीपी वृद्धि दर की राह में बड़ी बाधा हैं। हालांकि, इन समस्याओं से पार पाया जा सकता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि निचली अदालतों में महज 2,279 जजों और हाई कोर्ट में 93 जजों की नियुक्ति बढ़ाने से 100 फीसदी मामलों के निपटारे की दर को हासिल किया जा सकता है।

इन्सेंटिव पर जोर

आर्थिक समीक्षा में छोटी कंपनियों के प्रोत्साहन की नीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता पर बल देते हुए ऐसा वातावरण बनाने की सिफारिश की गयी है जिसमें छोटी इकाइयां बड़ा आकार लेने को प्रोत्साहित हो और केवल सरकारी छूट लेने के लिए छोटी इकाई बने रहने की प्रवृत्ति खत्म हो। इसके अलावा टर्नओवर के आधार पर छोटे कारोबारियों की बनी कैटेगरी को 10 साल में खत्म करने का भी सुझाव दिया गया है। राजस्थान में किए गए श्रम सुधारों की मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सराहना की है। उनके अनुसार, इस कदम के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

 इन सेक्टर में नौकरी की संभावनाएं ज्यादा

रिपोर्ट के मुताबिक देश के एमएसएमई सेक्टर की बात करें तो रबड़ व प्लास्टिक प्रोडकट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स व आप्टिकल प्रोडक्ट, ट्रांसपोट्र इक्विपमेंट, बेसिक मेटल, मशीनरी, केमिकल्स व केमिकल प्रोडक्ट, टेक्सटाइल और चमड़ा उद्योग में ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा की जा सकती हैं।

लीक से हटकर कुछ सुझाव

 .. हर जिले में सबसे ज्यादा 10 टैक्स देने  वाले लोगों को वीआईपी जैसा ट्रीटमेंट दिया जाय। इसके तहत एयरपोर्ट , टोल रोड और इमीग्रेशन काउंटर पर इन लोगों को खास तरजीह मिले, इसके अलावा उनके नाम पर सड़कों आदि के नाम रखे जाए।

.. सर्वेक्षण के अनुसार 2031-2041 के बीच भारत में जन्म दर 0.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके अलावा लोग की जीवन संभावना दर भी बढ़ रही है। ऐसे में रिटायरमेंट की उम्र 70 वर्ष किया जा सकता है।

.. नीति आयोग के तहत एक व्यवहारिक अर्थशास्त्र की इकाई बनाने की भी वकालत की गई है। इसका जोर सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का अध्ययन और विश्लेषण करना होगा।

..

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Economic Survey, Nirmala Sitharaman, India economy
OUTLOOK 04 July, 2019
Advertisement