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06 March 2019

एक साल में 60 लाख लोगों की गई नौकरियां, बेरोजगारी दर ढाई साल के उच्चतम स्तर पर

File Photo

बेरोजगारी के आंकड़े ने इस साल फरवरी में पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। फरवरी के महीने में भारत में बेरोजगारी पिछले ढाई साल में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। बेरोजगारी की दर फरवरी महीने में 7.2 प्रतिशत हो गई है। वहीं, साल 2018 और 2019 के बीच करीब 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से बेरोजगारी दर को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उसमें बताया गया है कि फरवरी में देश में बेरोजगारी की दर 7.2 प्रतिशत पहुंच गई। यह आंकड़ा सितंबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा है। साथ ही साल 2018 के फरवरी महीने में यह आंकड़ा 5.9 प्रतिशत और साल 2017 के फरवरी महीने में ये आंकड़ा 5 प्रतिशत था।

लोगों की नौकरी छूटी

रिपोर्ट के मुताबिक जहां पिछले साल 40.6 करोड़ लोग नौकरी कर रहे थे, वहीं इस साल फरवरी में यह आंकड़ा केवल 40 करोड़ रह गया। इस हिसाब से 2018 और 2019 के बीच करीब 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए।

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इस साल श्रम भागीदारी में कमी देखने को मिली है। जनवरी 2019 में जहां 43.2 प्रतिशत लोग काम में जुटे हुए थे तो वहीं फरवरी में गिरकर यह 42.7 प्रतिशत पहुंच गया। एक साल पहले, फरवरी 2018 में, लोगों की भागीदारी 43.8 प्रतिशत थी।

 

ये आंकड़ें मोदी सरकार के सामने खड़ी कर सकता है बड़ी चुनौती

इस साल मई में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बेरोजगारी की यह समस्या मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है। अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि सीएमआईई का डेटा सरकार द्वारा पेश किए गए जॉबलेस डेटा से ज्यादा विश्वसनीय है। यह डेटा देशभर के हजारों परिवारों से लिए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया जाता है।

जनवरी में जारी हुई सीएमआईई की रिपोर्ट में ये आंकड़े आए सामने

इस साल जनवरी में जारी हुई सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद साल 2018 में लगभग 1.1 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। वहीं, 2017 में पेश की गई नई कर व्यवस्था जीएसटी ने लाखों की संख्या में छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया। बता दें कि पिछले महीने सरकार ने संसद में बताया था कि छोटे कारोबार में नौकरियों पर पड़ने वाले नोटबंदी के प्रभाव को लेकर उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है।

सीएमआईई द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ें ज्यादा पुख्ता होते हैं। ज्यादातर अर्थशास्त्री सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ों के बजाए इसकी रिपोर्ट पर विश्वास करते हैं। लोगों का मानना है कि इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को चिंता में डाल सकते हैं। विपक्षी दल भी किसानों और बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा बनाकर लोगों के बीच जाते हैं।

मोदी सरकार पर बेरोजगारी के आंकड़े छुपाने का भी आरोप

हाल ही में मोदी सरकार पर बेरोजगारी के आंकड़े को छुपाने का भी आरोप लग चुका हैं। इतना ही नहीं रोजगार के आंकड़े को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए नेशनल स्टेटिस्किल कमीशन के दो अधिकारियों ने अपना इस्तीफा तक दे दिया था। जिस सरकारी आंकड़े को उन्होंने छुपाने की कोशिश की थी वो आंकड़े ने खुलासा किया था कि देश में बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर को छूते हुए 6.1 फीसदी पर पहुंच चुकी है। यह आकंड़ा नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे से सामने आया था।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि यही वह रिपोर्ट जिसे लेकर विवाद है और जिसे लेकर नेशनल स्टेटिस्किल कमीशन यानी एनएससी के चेयरमैन समेत दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। इन लोगों का आरोप था कि सरकार ने इस रिपोर्ट को छिपाकर रखा है और सार्वजनिक करने में आनाकानी कर रही है।

 

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TAGS: Employment rate, falls in February 2019, Survey, Centre for Monitoring Indian Economy
OUTLOOK 06 March, 2019
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