बार्कलेज की रिपोर्ट- कोरोना संकट से जीडीपी में 9 लाख करोड़ के नुकसान की आशंका
कोरोना वायरस के चलते भारत से सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में करीब नौ लाख करोड़ रुपये (120 अरब डॉलर) यानी चार फीसदी जीडीपी का नुकसान होने का अनुमान है। इसी वजह से विशेषज्ञों और एजेंसियों ने भारत के आर्थिक विकास दर अनुमान में कटौती की है।
विकास दर 1.7 फीसदी घटने का अनुमान
ब्रिटेन की ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगने का अनुमान है। उसने अगले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विकास दर अनुमान 1.7 फीसदी घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है। उसका कहना है कि इस संकट से जीडीपी में चार फीसदी यानी नौ लाख करोड़ रुपये की कमी आएगा।
आरबीआइ घटा सकता है रेपो रेट
सरकार को भी इस आर्थिक मुश्किल का अहसास है। यही वजह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। भारतीय रिजर्व बैंक भी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान नीतिगत ब्याज दर में भारी कटौती कर सकता है। आगामी समीक्षा तीन अप्रैल होने वाली है। बार्कलेज का अनुमान है कि आरबीआइ अप्रैल में रेपो रेट में 0.65 फीसदी की कटौती कर सकता है। इसके अलावा एक फीसदी की ब्याज साल के अगले महीनों में होने की संभावना है। विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा संकट के चलते राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को भी नजरंदाज कर किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती
देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती तीन सप्ताह के लॉकडाउन की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए इस लॉकडाउन की घोषणा की है। शेयर बाजार भी लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान का आंकलन कर रहा है। बाजार में निराशाजनक माहौल है हालांकि राहत पैकेजों की घोषणाओं से तात्कलिक तौर पर तेजी आने लगती है।
तीन हफ्ते के लॉकडाउन से इतना नुकसान
बार्कलेज ने जीडीपी को नुकसान के बारे में स्पष्ट किया है कि 90 अरब डॉलर का नुकसान सिर्फ 21 दिनों के लॉकडाउन से होगा। महाराष्ट्र जैसे राज्यों द्वारा घोषित किए जाने वाले लॉकडाउन का नुकसान अलग होगा।
उद्योगों की सरकार से अपेक्षाएं
घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमके रिसर्च ने दूसरे देशों के मुकाबले भारत में जल्दी कदम उठाने के लिए नीतिनिर्धारकों की सराहना की है लेकिन उसने इस पर चिंता जताई कि आर्थिक झटके झेलने के लिए उद्योगों को राहत की आवश्यकता है। उसका सुझाव है कि लघु उद्योग को सॉफ्ट लोन, लोन रिस्ट्रक्चरिंग और कैश ट्रांसफऱ की आवश्यकता है।