मेरे कार्यकाल में वित्त मंत्रालय-आरबीआई के बीच रिश्ते ‘सबसे अच्छे’ रहे: शक्तिकान्त दास
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निवर्तमान गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने संस्थान को अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और उनके छह साल के कार्यकाल में आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच संबंध ‘सबसे अच्छे’ रहे।
दास ने मंगलवार को अपने कार्यकाल के आखिरी दिन संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कई मुद्दों पर केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय का ‘नजरिया’ अलग-अलग हो सकता है और यह चीज दुनियाभर में देखी जाती है।
नौकरशाह से केंद्रीय बैंक के गवर्नर बने दास ने कहा, ‘‘…मुझे लगता है कि मेरे कार्यकाल में हम आंतरिक चर्चा के माध्यम से सभी मुद्दों को हल करने में सक्षम रहे।’’
दास ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सरकार और विशेष रूप से वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच संबंध… अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर है। हमारे बीच सहयोग और समन्वय शानदार था।’’
दास ने आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में कार्य किया था। 2016 में नोटबंदी में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। उन्हें उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद 2018 में आरबीआई गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।
दास ने कहा कि जब भी कोई गवर्नर पद ग्रहण करता है, तो वह चीजों को ‘व्यापक अर्थव्यवस्था’ के नजरिये से देखता है। वह केंद्रीय बैंक में मिली जिम्मेदारी के साथ काम करता है कि आरबीआई के लिए सबसे अच्छा क्या है और वह उसे कैसे पूरा कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आपकी जिम्मेदारी है, यह आपको मिली जवाबदेही है…क्योंकि आप एक विशेष पद पर हैं। साथ ही, अर्थव्यवस्था की आवश्यकताएं भी हैं। मुझे लगता है कि दोनों को ध्यान में रखकर ही गवर्नर कोई निर्णय करता है।’’
दास ने गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने पर दिसंबर, 2018 में दिए गए बयान को याद किया और कहा कि उन्होंने उन क्षेत्रों पर काम किया, जिस पर ध्यान देने की जरूरत थी और जो उन्होंने उस समय कहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उस समय कहा था कि रिजर्व बैंक एक समृद्ध विरासत वाली एक महान संस्था है। मैंने यह भी कहा था कि मैं रिजर्व बैंक के पेशेवर रुख, मूल तत्वों, विश्वसनीयता और स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए सब कुछ करूंगा।’’
उनसे उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, 67 वर्षीय दास ने कहा कि उनके पास अभी कोई विशेष योजना नहीं है और वह अपने भविष्य के कदमों के बारे में बाद में विचार करेंगे।
इस बात की अटकलें थीं कि दास को संभवत: एक और विस्तार मिल सकता है। अगर ऐसा होता तो वह केंद्रीय बैंक के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले गवर्नर बन जाते। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई का अगला गवर्नर नियुक्त किया।