अनाज उत्पादन में कमी की आशंका
पिछले कुछ समय से देश की विकास दर को बढ़ाने में कृषि क्षेत्र का बड़ा हाथ रहा है क्योंकि औद्योगिक उत्पादन लगातार उतार-चढ़ाव ही झेलता रहा है। किसानों के लिए संकट की बात यह है कि पूरी दुनिया में अनाज के भाव कम हुए हैं ऐसे में उत्पादन घटने के बावजूद भारत में फसल के दाम बढ़ने की उम्मीद नहीं है। अगर उत्पादन घटेगा तो किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा और यह स्थिति किसान आत्महत्या की दर बढ़ा सकती है।
कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2014-15 के लिए दूसरा अनुमान जारी करते हुए एक बयान में कहा कि अनियत बारिश के कारण चावल, मोटे अनाज और दलहनों के उत्पादन में गिरावट के कारण देश का अनाज उत्पादन तीन प्रतिशत घटकर 25.70 करोड़ टन रहने का अनुमान है। इस वर्ष गेहूं उत्पादन मामूली रूप से घटकर नौ करोड़ 57.6 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की समान अवधि में नौ करोड़ 58.5 लाख टन था।
चालू वर्ष में प्रमुख खरीफ फसल चावल का उत्पादन 36.1 लाख टन घटकर 10 करोड़ 30.4 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो पिछले वर्ष रिकार्ड 10 करोड़ 66.5 लाख टन के स्तर पर था। इसमें कहा गया है, वर्ष 2014-15 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में कुल अनाज उत्पादन 25 करोड़ 70.7 लाख टन होने का अनुमान है जो देश में चौथी सबसे अधिक मात्रा वाला वार्षिक खाद्यान्न उत्पादन स्तर है। यह अनुमान वर्ष 2013-14 के दौरान हासिल किए गए रिकार्ड 26 करोड़ 55.7 लाख टन के स्तर से 85 लाख टन कम है।
मंत्रालय ने कहा, यह गिरावट वर्ष 2014 में मानसून सत्र के दौरान अनियत बरसात की स्थिति के कारण चावल, मोटे अनाज और दलहनों के कम उत्पादन के कारण है। गौरतलब है कि इस वर्ष मानसून की बरसात में 12 प्रतिशत की कमी रह गई थी।
अनुमान के मुताबिक चालू वर्ष में मोटे अनाज का उत्पादन 34.6 लाख टन घटकर तीन करोड़ 98.3 लाख टन रहने की संभावना है जबकि दलहन का उत्पादन 13.5 लाख टन घटकर एक करोड़ 84.3 लाख टन रहने का अनुमान है। तिलहन उत्पादन वर्ष 2014-15 में 29.2 लाख टन घटकर दो करोड़ 98.3 लाख टन रहने का अनुमान है।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने हाल में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों की वृद्धि दर चालू वित्तवर्ष में 1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था जो पूर्व वर्ष के 3.7 प्रतिशत से कम होगा।