मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर, मार्च में औद्योगिक उत्पादन 21 माह के निचले स्तर पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक और बुरी खबर आई है। देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक मार्च के दौरान गिरकर 21 माह के निचले स्तर पर आ गया। मुख्य रूप से मेन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती आने से इसमें 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले अमरीका की मशहूर टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री मोदी को भारत में समाज को बांटने वाला (India’s Divider in Chief) कहकर कवर पेज पर जगह दी। यह दोनों ही खबर मोदी सरकार के लिए काफी चिंताजनक है।
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) पिछले साल मार्च में बढ़कर 5.3 फीसद हो गया था। इससे पहले आइआइपी जून 2017 में 0.3 फीसदी गिरा था। वार्षिक आधार पर देखें तो बीते वित्त वर्ष 2018019 के दौरान आइआइपी घटकर 3.6 फीसद पर रह गया। उससे पिछले वित्त वर्ष में इसकी वृ्द्धि दर 4.4 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2016-17 और 2015-16 के दौरान आइआइपी क्रमशः 4.6 और 3.3 फीसद पर था।
इस साल फरवरी का आइआइपी भी संशोधित किया गया। नए आंकड़ों के मुताबिक यह 0.1 फीसद घटकर 0.7 फीसदी रह गया। आइआइपी में 77.63 फीसदी की हिस्सेदारी वाले मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का सूचकांक इस साल मार्च में 0.4 फीसद घटकर 5.7 फीसद रह गया। कैपिटल गुड्स का सूचकांक 8.7 फीसदी घट गया जबकि पिछले साल मार्च में इसमें 3.1 फीसदी की गिरावट आई थी। पावर सेक्टर का सूचकांक घटकर 2.2 फीसद रह गया जबकि पिछले साल मार्च में 5.9 फीसद था। माइनिंग सेक्टर में रफ्तार 3.1 फीसद से घटकर 0.8 फीसद रह गई। उपयोगिता आधारित वर्गीकरण के अनुसार इस साल मार्च में प्राइमरी गुड्स में विकास दर 2.5 फसीद, इंटरमीडिएटरी गुड्स में –2.5 फीसदी और इन्फ्रास्ट्रक्चर व कंस्ट्रक्शन गुड्स में 6.4 फीसद रही। इसी तरह कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स में वृद्धि दर नकारात्मक रही यानी क्रमशः -5.1 फीसदी और 0.3 फीसदी रही। उद्योगों के लिहाज से बात करें तो मैन्यूफैक्चरिंग के 23 उद्योग समूहों में से 12 समूहों में मार्च के दौरान वृ्द्धि दर पिछले साल के मुकाबले नकारात्मक रही।