पीएम नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री सीतारमण ने की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत की समीक्षा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की है। प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री सीतारमण के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही आंशिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है। इससे निवेशकों की संपत्ति कम हो रही है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है। हालांकि सरकार पहले इन अर्थव्यवस्था संबंधी दिक्कतों से इनकार करती रही है लेकिन मौजूदा बैठक आर्थिक समस्याओं की गंभीरता को समझने का संकेत माना जा सकता है।
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से संबोधन देने के बाद वित्त मंत्री के साथ यह विचार-विमर्श किया है। इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में वर्तमान आर्थिक मंदी की प्रकृति तथा इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार किया गया।
इस वक्त यह उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों के लिए कुछ विशेष प्रोत्साहन उपाय घोषित कर सकती है। हालांकि अभी तक इस बारे में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 6.8 प्रतिशत
2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 6.8 फीसदी पर आ गई थी। यह 2014-15 के बाद की न्यूनतम विकास दर रही। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक विकास दर के अनुमान को 7.0 फीसदी से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। इस बीच केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दर में इस साल 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है ताकि आर्थिक विकास को तेज करने की कोशिशों में सहायता मिले।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट कायम
इसके अलावा सरकार ने सरकारी बैंकों की कर्ज देने की स्थिति सुधारने के लिए चालू वित्त वर्ष में उन्हें 70 हजार करोड़ रुपये का इक्विटी पैकेज देने की घोषणा भी की है। इससे बैंकों में फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की स्थिति अब नियंत्रण में लगती है लेकिन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट अब भी बना हुआ है जिससे उपभोक्ता सामान और आवास के लिए कर्ज की सुविधा प्रभावित हुई है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर बुरे दौर में, गई लाखों नौकरियां
वहीं रोजगार और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऑटोमोबाइल सेक्टर इस समय दो दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। आवास, गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, पूंजीगत सामान क्षेत्र, रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योग में भी मांग में गिरावट है।
देश में जुलाई की वाहन बिक्री में 19 साल की 18.71 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। वाहन उद्योग पिछले दो-तीन महीने से भारी दबाव झेल रहा है। इसके चलते क्षेत्र के 15,000 लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और 10 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन 'सियाम' की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल वाहन बिक्री जुलाई में 18.71 प्रतिशत गिरकर 18,25,148 वाहन रही जो जुलाई 2018 में 22,45,223 वाहन थी। यह दिसंबर 2000 के बाद वाहन बिक्री में आयी सबसे बड़ी गिरावट है। उस दौरान वाहन बाजार में 21.81 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।
इसी तरह यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री जुलाई में भी करीब 19 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखी गयी है। यह लगातार नौवें महीने गिरी है। इस दौरान यात्री वाहनों की बिक्री 30.98 प्रतिशत घटकर 2,00,790 वाहन रही है जो जुलाई 2018 में 2,90,931 वाहन थी। इससे पहले दिसंबर 2000 में यात्री वाहनों की बिक्री में 35.22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। सियाम के मुताबिक समीक्षावधि में घरेलू बाजार में कार की बिक्री 35.95 प्रतिशत टूटकर 1,22,956 वाहन रही। जुलाई 2018 में 1,91,979 वाहन थी।