कोविड-19 में घरेलू कंपनियों को बचाने की कोशिश, पड़ोसी देशों से एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी
जिन देशों की भौगोलिक सीमाएं भारत की सीमा से लगती हैं, वहां से विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। सरकार ने शनिवार को इस संबंध में निर्देश जारी किया। कोविड-19 महामारी के चलते घरेलू कंपनियों की वैल्यू कम हुई है। उन्हें विदेशी अधिग्रहण, खासकर चीन, से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। भारत की सीमा से जिन देशों की सीमाएं लगती हैं उनमें चीन के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यामार हैं।
अभी तक यह नियम सिर्फ पाकिस्तान से आने वाले निवेश पर लागू होता था
औद्योगिक संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से जारी प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि किसी भी भारतीय कंपनी में मौजूदा या भविष्य में आने वाली एफडीआई से अगर मालिकाना हक बदलता है तो उसके लिए सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी होगी।
सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय चीन से आने वाले विदेशी निवेश पर अंकुश लगाएगा। डर इस बात का है कि भारत में लॉकडाउन के चलते कंपनियों की वैल्यू काफी गिर गई है। ऐसे में चीन की कंपनियां उनका अधिग्रहण करने की कोशिश कर सकती हैं। अभी तक यह नियम सिर्फ पाकिस्तान से आने वाले निवेश पर लागू होता था। शनिवार को जारी नए आदेश में भी कहा गया है कि पाकिस्तान का कोई नागरिक या वहां की कोई कंपनी रक्षा और अन्य प्रतिबंधित क्षेत्रों के अलावा अन्य सेक्टर में सरकार की अनुमति से ही निवेश कर सकती है।
भारतीय स्टार्टअप में चीन की कंपनियों ने किया है काफी निवेश
नांगिया एंडरसन एलएलपी के डायरेक्टर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि चीन के टेक्नोलॉजी निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में 4 अरब डॉलर का निवेश किया है। स्थिति यह है कि भारत की 30 यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियों (जिनकी वैल्यू एक अरब डॉलर से अधिक है) में चीन ने निवेश किया हुआ है। इसलिए भारत को होस्टाइल अधिग्रहण को रोकने की जरूरत है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर विक्रम जोशी ने भी कहा कि कोविड-19 से बहुत सी कंपनियां प्रभावित होंगी। इससे अनेक सेक्टर में अधिग्रहण की गुंजाइश हो सकती है। डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2000 से दिसंबर 2019 तक चीन से 2.34 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने हाल ही एचडीएफसी लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।