मायावती ने किया अखिलेश को फोन, कहा- ‘घबराने की जरूरत नहीं, डटकर मुकाबला करो’
बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में खनन के लंबित मामले में सीबीआई की छापेमारी पर फोन कर सपा मुखिया अखिलेश यादव से कहा कि इससे घबराने की बात नहीं है, बल्कि इसका डटकर मुकाबला करके, इस षडयंत्र को विफल करने की जरूरत है। मायावती ने कहा कि बीजेपी द्वारा इस प्रकार की घिनौनी राजनीति और इनका चुनावी षडयंत्र कोई नई बात नहीं है, बल्कि इनका यह पुराना हथकण्डा है, जिसे देश की जनता अच्छी तरह से समझती है और बीएसपी मूवमेन्ट भी इसका भुक्तभोगी रहा है।
बसपा सुप्रीम ने सोमवार को जारी अपने बयान में कहा कि जिस दिन सपा-बसपा के शीर्ष नेतृत्व की सीधी मुलाकात से संबंधित ख़बर मीडिया में आम हुई, उसी दिन बौखलाहट में बीजेपी सरकार द्वारा सीबीआई को लम्बित पड़े खनन मामले में एक साथ अनेकों स्थानों पर उत्तर प्रदेश में छापेमारी करवाई गई और अखिलेश यादव से भी पूछताछ करने संबंधी खबर जानबूझकर फैलाई गई। यह राजनीतिक विद्वेष व चुनावी षडयंत्र के तहत सपा-बीएसपी गठबंधन को बदनाम व प्रताड़ित करने की कार्रवाई नहीं तो और क्या है?
उन्होंने कहा कि अगर यह कार्रवाई राजनीतिक षडयंत्र नहीं है तो सीबीआई को पहले से ही इस बारे में अपनी कार्रवाई करने देना चाहिए था और बीजेपी के नेताओं को इस बारे में अनावश्यक और अनर्गल बयानबाजी करने की क्या जरूरत थी? इसके अलावा इस मामले में बीजेपी के मंत्री और नेता सीबीआई के प्रवक्ता कब से बन गए हैं?
मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके अपने विरोधियों को फर्जी मामले में फंसाने में माहिर रही है और बीएसपी मूवमेन्ट भी इसका भुक्तभोगी रहा है। जब उत्तर प्रदेश की लोकसभा की 80 में से 60 सीटें बीएसपी ने बीजेपी को देना स्वीकार नहीं किया तो तब उन्होंने ताजा मामले में फर्जी तौर पर मुझे फंसा दिया और जिसके फलस्वरूप बीएसपी मूवमेन्ट के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए 26 अगस्त 2003 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के पद से मैंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन फिर जिसका सूद समेत बदला लोगों ने लिया और 2007 के विधानसभा आमचुनाव में बीएसपी की पूर्ण बहुमत की पहली सरकार बनवाई।
यह बात उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी याद दिलाई और कहा कि बीजेपी सरकार के इस प्रकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा देश व दुनिया इस हकीकत को जानती है कि बीजेपी की केन्द्र सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से किस प्रकार से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है और साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों का इस्तेमाल करके ना केवल अपने विरोधियों को अनेकों प्रकार से प्रताड़ित करने का प्रयास किया है बल्कि सत्ता का घोर दुरुपयोग करते हुये बीजेपी के तमाम नेताओं को हर प्रकार के आपराधिक मामलों में बरी कराने का भी हर प्रकार से प्रयास किया है, जो अति-निन्दनीय है और गलत नीति व कार्यकलाप की पराकाष्ठा है।