टीसीएस के मुनाफे में बेहिसाब बढ़ोतरी कराई थी चंद्रशेखरन ने
चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस के मुनाफे में तीन गुना का इजाफा हुआ। 2009 में कंपनी का टर्नओवर 30,000 करोड़ रुपये था और उनकी लीडरशिप में ही 2016 तक यह बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये हो गया। यही नहीं कंपनी का मुनाफा भी तीन गुना बढ़ते हुए 7,093 करोड़ से बढ़कर 24,375 करोड़ हो गया। देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट कंपनी में फिलहाल 3,50,000 एंप्लॉयीज हैं। टीसीएस देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली प्राइवेट कंपनी है। 116 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप के मार्केट कैप में टीसीएस की हिस्सेदारी 60 पर्सेंट है। टाटा संस के कुल रेवेन्यू में कंपनी की हिस्सेदारी 70 पर्सेंट से अधिक है। चंद्रशेखर ने हमेशा खुद को एक बेहतर लीडर के तौर पर साबित किया है। टीसीएस की 23 बिजनस यूनिट्स में सर्विस डिलिवरी, ऑपरेशंस और नीतियों को उन्होंने बेहतर तरीके से लागू करने का काम किया। बाद में उन्होंने इस कंपनी को 8 ग्रुप्स में बांट दिया, जिनके हेड उन्हें रिपोर्ट करते थे। ऐंगल ब्रोकिंग के रिसर्च वाइस प्रेजिडेंट सरबजीत के. नांगरा ने कहा, 'चंद्रा ने कठिन काम को आसान कर दिखाया। टीसीएस हमेशा से बड़ी कंपनी थी, लेकिन इन्फोसिस को मैनेजमेंट और लाभ के मामले में बेंचमार्क के तौर पर देखा गया। चंद्रा ने टाटा ब्रैंड की छवि बदली और कंपनी को मुनाफे की ओर ले गए।'
साइरस मिस्त्री को इस पद से हटाए जाने के करीब दो माह बाद यह नियुक्ति की गई है। मिस्त्री को हटाए जाने के बाद टाटा घराने के रतन टाटा कंपनी के अंतरिम चेयरमैन बनाए गए थे। मिस्त्री को गत 24 अक्तूबर को अप्रत्याशित रूप से चेयरमैन पद से हटाने के बाद समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों में भारी खींचतान व कड़वाहट फैल गई थी।
चंद्रा के नाम से लोकप्रिय 54 वर्षीय चंद्रशेखरन 21 फरवरी को अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा से टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभालेंगे। टाटा समूह देश-विदेश में सालाना 103 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करता है। चंद्रशेखरन ने अपनी नियुक्ति के बाद कहा कि टाटा समूह तीव्र बदलाव से गुजर रहा है और उनका प्रयास होगा कि समूह को नैतिक और उन मूल्यों के साथ आगे बढाने में मदद की जा सके जिनके आधार पर इसका निर्माण हुआ है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, टाटा संस के निदेशक मंडल की आज हुई बैठक में चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन नियुक्त करने का फैसला किया गया। चंद्रा की नियुक्ति चयन समिति की सर्वसम्मत सिफारिश के बाद की गई है। बयान में यह नहीं बताया गया है कि शीर्ष पद पर चंद्रशेखरन का कार्यकाल कितना होगा। इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि रतन टाटा की आगे क्या भूमिका होगी। मिस्त्री को हटाए जाने के बाद टाटा को टाटा संस का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
टीसीएस में चंद्रशेखरन का स्थान राजेश गोपीनाथ लेंगे। फिलहाल वह कंपनी में मुख्य वित्त अधिकारी हैं। चंद्रशेखरन की नियुक्ति की घोषणा करते हुए टाटा संस के निदेशक मंडल ने कहा, श्री चंद्रशेखरन ने टीसीएस के सीईओ तथा प्रबंध निदेशक के रूप में अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। चंद्रशेखरन 2009 से टीसीएस के सीईओ और प्रबंध निदेशक हैं। टीसीएस को टाटा समूह की दुधारू गाय कहा जाता है। वह टाटा के साथ 1987 में जुड़े थे। मिस्त्री को हटाए जाने के एक दिन बाद यानी 25 अक्तूबर, 2016 को उन्हें टाटा संस के निदेशक मंडल में शामिल किया गया था। चंद्रशेखरन की नियुक्ति का फैसला यहां हुई टाटा संस के निदेशक मंडल की बैठक में लिया गया। पांच सदस्यीय चयन या खोज समिति की सिफारिश पर यह नियुक्ति की गई है। समिति में रतन टाटा, टीवीएस समूह के प्रमुख वेणु श्रीनिवासन, बेन कैपिटल के अमित चंद्रा, पूर्व राजनयिक रोनेन सेन तथा लॉर्ड कुमार भट्टाचार्य शामिल थे।
खोज समिति को प्रवर्तन कंपनी का नया प्रमुख ढूंढने के लिए चार महीने का समय दिया गया था। लेकिन इस पर निर्णय इससे पहले कर लिया गया। टाटा संस के चेयरमैन पर चंद्रशेखरन की नियुक्ति ऐसे समय की गई है जबकि कंपनी मिस्त्री के साथ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में कानूनी लड़ाई लड़ रही है। मिस्त्री ने खुद को हटाए जाने को चुनौती दी है। मिस्त्री के परिवार के स्वामित्व वाली दो निवेश कंपनियों ने टाटा संस के खिलाफ एनसीएलटी में उनको निदेशक पद से हटाए जाने को चुनौती दी है। इसमें टाटा संस को छह फरवरी को बुलाई गई असाधारण आम बैठक रद्द करने का आदेश देने की अपील की गई है। यह ईजीएम मिस्त्री को हटाने के लिए बुलाई गई है।
चंद्रशेखरन क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, त्रिची, तमिलनाडु से कंप्यूटर एप्लिकेशंस में मास्टर्स करने के बाद टीसीएस से जुड़े थे। उनके नेतृत्व में टीसीएस ने 2015-16 16.5 अरब डालर की कमाई की। टीसीएस 2015-16 में देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी और इसका बाजार पूंजीकरण 70 अरब डालर से अधिक रहा। (एजेंसी)