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29 May 2020

अप्रैल में कोर सेक्टर का उत्पादन 38% घटा, अब तक की सबसे बड़ी गिरावट, राजकोषीय घाटा 4.6% पर पहुंचा

File Photo

देशव्यापी लॉकडाउन के चलते अप्रैल में आठ कोर सेक्टर की विकास दर शून्य से 38.1 फीसदी नीचे पहुंच गई। यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट, स्टील, सीमेंट बिजली उत्पादन, सबमें 15 फीसदी से 83 फीसदी तक गिरावट दर्ज हुई है। मार्च में भी कोर सेक्टर में 9 फीसदी गिरावट आई थी, जबकि अप्रैल 2019 में इसमें 5.2 फीसदी वृद्धि हुई थी।

सीमेंट उत्पादन 86 फीसदी, स्टील का 83.9 फीसदी घटा

ये आंकड़े जारी करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि लॉकडाउन के चलते विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में उत्पादन को काफी नुकसान हुआ है। कोयले का उत्पादन 15.5 फीसदी, कच्चे तेल का 6.4 फीसदी, प्राकृतिक गैस का 19.9 फीसदी, रिफाइनरी उत्पादों का 24.2 फीसदी, उर्वरक का 4.5 फीसदी, स्टील का 83.9 फीसदी, सीमेंट का 86 फीसदी और बिजली का उत्पादन 22.8 फीसदी घट गया है।

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आईआईपी 75-80 फीसदी घटने की आशंका

पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में कोर उद्योगों ने सिर्फ 0.6 फीसदी बढ़त हासिल की, जबकि 2018-19 में इसमें 4.4 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। औद्योगिक उत्पादन के इंडेक्स (आईआईपी) में कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 फीसदी है, इसलिए आईआईपी में भी रिकॉर्ड गिरावट की आशंका जताई जा रही है। इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए इक्रा रेटिंग एजेंसी की वाइस प्रेसिडेंट अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल के ऑटोमोबाइल उत्पादन के आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं। ज्यादातर प्लांट बंद थे, इसलिए इस दौरान उत्पादन शून्य रहने के आसार हैं। इसलिए अप्रैल में आईआईपी में 75-80 फीसदी गिरावट का अंदेशा है। गैर-जरूरी वस्तुओं की मैन्युफैक्चरिंग ज्यादा प्रभावित होगी। 

औद्योगिक उत्पादन में काफी कमी आई

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के अनुसार बिजली उत्पादन में 22.8 फीसदी गिरावट से पता चलता है कि औद्योगिक उत्पादन में काफी कमी आई है। हालांकि बिजली की घरेलू खपत सामान्य से अधिक रही है। श्रमिकों के चले जाने से खनन गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं। सीमेंट और स्टील उत्पादन 80 फीसदी से अधिक घटा है। फसल रोपाई के कारण उर्वरकों की मांग थी, इसलिए इसके उत्पादन में सबसे कम 4.5 फीसदी गिरावट आई है।

राजकोषीय घाटा 4.6 फीसदी, सात साल में सबसे ज्यादा

कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स के अनुसार 2019-20 में राजकोषीय घाटा 4.6 फीसदी पर पहुंच गया। यह सात साल में सबसे ज्यादा है। इससे पहले 2012-13 में घाटा जीडीपी का 4.9 फीसदी रहा था।  सरकार ने पहले 3.3 फीसदी घाटे का अनुमान जताया था, लेकिन राजस्व संग्रह में आई गिरावट के चलते इसमें बढ़ोतरी हुई है। 2018-19 में राजकोषीय घाटा 3.4 फीसदी रहा था। राजस्व घाटा भी 2.4 फीसदी के संशोधित अनुमान की तुलना में 3.27 फीसदी रहा है। सरकार ने पिछले साल 19.31 लाख करोड़ रुपये की प्राप्तियों का अनुमान लगाया था, लेकिन यह 17.5 लाख करोड़ तक ही पहुंच सका। सरकार का खर्च 26.98 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 26.86 लाख करोड़ रहा है।

 
 
 
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TAGS: Core sector, production fell 38 percent, biggest decline so far
OUTLOOK 29 May, 2020
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