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31 August 2017

आखिर नोटबंदी से देश को क्या हासिल हुआ? क्या थे वादे और क्या रही हकीकत

नोटबंदी के नौ महीने बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। जिसके मुताबिक, नोटबंदी के दौरान रद्द किये गये नोटों में से महज 1.3 फीसदी नोट ही जमा नहीं हुए हैं।  यानी 98 फीसदी से ज्यादा बंद नोट वापस मुद्रा बैंकिंग सिस्टम में लौट आई है। इस पर सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। बता दें कि 8 नवंबर 2016 को देश में 1000 और 500 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे। आइए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं में जानते हैं कि नोटबंदी के दौरान सरकार की ओर से क्या वादे किए गए थे, इस कदम से जनता को कितना फायदा हुआ और इससे कितना नुकसान उठाना पड़ा।

क्या थे वादे?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा था, “हमारा यह कदम देश में भ्रष्टाचार, काला धन एवं जाली नोट के खिलाफ हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं, सामान्य नागरिक जो लड़ाई लड़ रहा है, उसको इससे ताकत मिलने वाली है।”

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जनता ने झेली मार

#मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नोटबंदी के दौरान लाइन में लगने से और पैसों की किल्लत से 104 लोगों की मौत हुई।

# नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मियों ने 4.5 करोड़ दिन अतिरिक्त काम किया। यानी नोटबंदी के 50 दिन में एक कर्मचारी ने औसतन 6 घंटे तक काम किया। इस दौरान आम जनता के साथ-साथ बैंक कर्मियों के लिए तनावपूर्ण रहा।

#नोटबंदी के दौरान आम जनता को लेन-देन में बेहद दिक्कत हुई। इस नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। अब नोटबंदी को भले ही 9 महीने से ज्‍यादा हो चुके हैं, लेकिन आज भी 2000 रुपये के नोटों से छोटे-मोटे लेनदेन करने में व्‍यावहारिक दिक्‍कतें आ रही हैं।

# नोटबंदी का सबसे बुरा असर ज्‍यादातर कैश में लेनदेन करने वाले उद्योगों पर पड़ा। इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते हैं इसके कारण उनका कारोबार ठप पड़ गया। लिहाजा लोगों की नौकरियां गईं।

# नोटबंदी के चलते एक तरफ जहां कैशलेस ट्रांजैक्‍शन बढ़ा है। वहीं, बैंकों ने बचत खाते की ब्‍याज दरों में कटौती भी करनी शुरू कर दी।

# एनडीटीवी के मुताबिक, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने कहा कि देश की 25 फीसदी आर्थिक गतिविधियों पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा है। उनके मुताबिक सबसे ज़्यादा असर असंगठित सेक्टर पर हुआ है।

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुताबिक, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, छोटे उद्योग और कृषि क्षेत्र में दिहाड़ी मज़दूरों पर नोटबंदी का सबसे खराब प्रभाव पड़ा है।

#नोटबंदी के दौरान कृषि क्षेत्र को भी बुरे दौर से गुजरना पड़ा। इस दौरान जहां छत्तीसगढ़ में किसानों ने सही दाम नहीं मिल पाने की वजह से कई टन टमाटर सड़कों पर फेंके। वहीं पंजाब और महाराष्ट्र के किसानों को आलू फेंकना पड़ा। देश के विभिन्न राज्यों में किसानों को फसल लागत के हिसाब से सही दाम नहीं मिल पाया।

#वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी की ग्रोथ तीन साल के न्यूनतम स्तर पर 5.7 पर आ गई है। नोटबंदी के चलते लगातार तीसरी तिमाही में जीडीपी की विकास पर असर दिखाई दिया है। 

फायदे गिनाती सरकार

#वित्त मंत्री अरूण जेटली  ने कहा कि नोटबंदी से कर आधार बढ़ाने में मदद मिली है जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़ोत्तरी हुई है। आयकर रिटर्न्स में पिछले साल के 9.9 फीसदी के मुकाबले 5 अगस्त 2017 तक 24.7 फीसदी वृद्धि हुई।

# वित्त मंत्री के मुताबिक,  नोटबंदी से अलगाववादियों को भी आर्थ‍िक चोट पहुंची है। आतंकवादियों के पास पैसे जब्‍त हुए हैं।

# नोटबंदी की वजह से बैंकों में काफी बड़ी मात्रा में डिपोजिट आया है। इसका लाभ बैंकों ने आम आदमी को सस्‍ते कर्ज के तौर पर दिया है। पिछले साल के मुकाबले इस साल हाउसिंग दरों में 3 प्रतिशत तक कमी आई है। पिछले साल ये दरें जहां 10.5 से लेकर 12 फीसदी तक थीं, अब ये 8 से 9 फीसदी तक आ गई हैं।

# नोटबंदी की वजह से कुछ हद तक यह पैसा सिस्‍टम में वापस आया है। सरकार की तरफ से लगातार संदिग्‍ध ट्रांजैक्‍शन पर नजर रखी गई। इसके कारण से इन ट्रांजैक्‍शन में काफी कमी आई। लिहाजा नवंबर, 2016 में महंगाई दर 3.63 फीसदी थी। वह जुलाई 2017 में घटकर 2.36 फीसदी पर आ गई।

# नोटबंदी के चलते कैशलेश ट्रांजैक्‍शन बढ़ने में काफी सहायता मिली है। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर, 2016 में जहां कैशलेस ट्रांजैक्‍शन का आंकड़ा 67.2 करोड़ था, वह फरवरी, में 76.3 करोड़ तक पहुंच गया। वहीं डिजिटल लेन देन में मई 2017 तक 56 फीसदी बढ़ोतरी हुई।

# वित्त मंत्रालय का कहना है कि नवंबर, 2016 से मई, 2017 तक कुल 17,526 की अघोषित आय का पता चला जबकि 1,003 रुपये जब्त किए गए। इन मामलों में छानबीन जारी है। 

 

 

 

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TAGS: Demonnisation, benefits, public, damage, नोटबंदी, फायदा, नुकसान, जनता
OUTLOOK 31 August, 2017
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