कोबरापोस्ट का दावा, डीएचएफएल ने किया 31 हजार करोड़ का घोटाला
निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कोऑपरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) पर 31 हजार करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का आरोप लगा है। न्यूज वेबसाइट कोबरापोस्ट का दावा है कि उनकी पड़ताल में पता चला है कि डीएचएफएल ने कई शेल कंपनियों को करोड़ों रुपये का लोन दिया और फिर वही रुपया वापस उन्हीं कंपनियों के पास आ गया जिनके मालिक डीएचएफएल के प्रमोटर हैं।
सबसे बड़े वित्तीय घोटाले का दावा
आरोप है कि इस तरीके से डीएचएफएल द्वारा करीब 31 हजार करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी की। दावा है कि ये संभवत: देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला हो सकता है। कोबरापोस्ट ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना और सरकारी वेबसाइट से मिली जानकारी के आधार पर इस कथित घोटाले का खुलासा किया है।
भाजपा को अवैध रूप से चंदा देने का आरोप
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि डीएचएफएल से जुड़ी कंपनियां- जैसे आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स, स्किल रियल्टर्स और दर्शन डेवलपर्स- शेल कंपनियां हैं और इन्होंने पैसों की धोखाधड़ी की है। यह भी दावा किया गया है कि 2014 से 2017 के बीच, इन तीन कंपनियों ने अवैध रूप से भाजपा को लगभग 20 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
29 जनवरी को कोबरापोस्ट ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर ‘द एनाटॉमी ऑफ इंडियाज बिगेस्ट फाइनेंशियल स्कैम’ नाम से अपनी ये रिपोर्ट जारी की। इस दौरान कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, पत्रकार जोसी जोसेफ, परंजॉय गुहा ठाकुरता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण मौजूद थे।
डीएचएफएल के बारे में
डीएचएफएल वधावन ग्लोबल कैपिटल के स्वामित्व वाली एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी है। कपिल वाधवन, अरुणा वाधवन और धीरज वाधवन डीएचएफएल के मुख्य साझेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, डीएचएफएल के प्रमोटरों ने वधावन समूह के स्वामित्व वाली शेल कंपनियों को वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए हजारों करोड़ रुपये का उधार देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों से कथित रूप से असुरक्षित ऋण लिया।
‘डीएचएफएल ने वधावन समूह को जारी किए करोड़ों रुपये’
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डीएचएफएल ने वधावन समूह द्वारा नियंत्रित कंपनियों को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए। आरोप है कि बदले में इन कंपनियों ने तब भारत और अन्य देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और मॉरीशस में शेयरों, इक्विटी और अन्य निजी संपत्तियों का अधिग्रहण करने के लिए इस धन का इस्तेमाल किया।
कितनी है कंपनी की कुल जमा पूंजी
डीएचएफएल की कुल जमा पूंजी या माली हैसियत साल 2017-18 के वित्तीय ब्योरे के मुताबिक 8795 करोड़ रुपया है। इस कंपनी ने अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानो से 98718 करोड़ रुपए का कर्ज हासिल कर लिया।
आरोप है कि यह कर्ज अलग-अलग तरीके से हासिल किया गया है। इस कर्ज राशि से डीएचएफएल ने 84982 करोड़ रुपए की धनराशि कर्ज के रूप में दे दी है। डीएचएफएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने कुल मिलाकर 36 बैंको से उपरोक्त धनराशि कर्ज में जुटाई थी। इन बैंको में 32 सरकारी और निजी के अलावा छह विदेशी बैंक शामिल हैं। इसमें भारतीय स्टेट बैंक से 11,500 करोड़ रुपये का ऋण और बैंक ऑफ बड़ौदा से 5,000 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है।
रिपोर्ट के दावे के मुताबिक, डीएचएफसीएल के दो प्रमोटरों प्लेसिड नोरोन्हा और भागवत शर्मा आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स के प्रमोटरों की सूची में भी शामिल हैं। इसके अलावा डीएचएफसीएल के प्राथमिक प्रमोटर धीरज वाधवन औप नोरोन्हा आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स और दर्शन डेवलपर्स दोनों के निदेशक हैं।
भाजपा को दिए गए चंदे के बारे में दावा
कोबरापोस्ट ने यह भी दावा किया है कि भारतीय चुनाव आयोग को दिए गए भाजपा के दस्तावेजों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-17 के दौरान आरकेडब्ल्यू, दर्शन और स्किल रियल्टर्स ने भाजपा को लगभग 20 करोड़ रुपये का दान दिया था, जो कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 182 का उल्लंघन है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्किल रियल्टर्स ने 2014-15 में बीजेपी को 2 करोड़ रुपये का चंदा दिया, उस वित्तीय वर्ष में इस कंपनी को केवल 27,000 रुपये का लाभ हुआ था और पूर्ववर्ती तीन साल में औसतन लगभग 4,500 रुपये का लाभ हुआ था। 2016-17 में दर्शन डेवलपर्स ने कंपनी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए 7.5 करोड़ रुपये का योगदान दिया। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2013-14 में 5.13 लाख रुपये और 2014-15 में 4,650 रुपये के लगातार घाटे की सूचना दी थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी ने अपने प्रमोटरों के स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों को इस राशि का दस गुना से अधिक का ऋण दिया है।
(आउटलुक हिंदी ने कोबरापोस्ट की रिपोर्ट का सत्यापन नहीं किया है। यह खबर कोबरापोस्ट और न्यूज एजेंसी आईएएनएस के हवाले से की गई है।)