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17 July 2019

गांवों में भी मंदी का असर, एफएमएसजी उत्पादों की मांग गिरने की आशंका

चालू वर्ष में एफएमसीजी सेक्टर की वृद्धि दर धीमी पड़ने की आशंका है। नीलसन की रिपोर्ट के अनुसार खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मांग कमजोर रहने से विकास दर 9-10 फीसद रहेगी। हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में मांग ज्यादा सुस्त चल रही है। डाटा एनालिटिक्स फर्म नीलसन की रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष की पहली छमाही में वृद्धि दर 12 फीसदी के आसपास रही जो पिछले 13-14 फीसदी के अनुमान से कम है।

इस साल वृद्धि दर घटकर 9 फीसदी रहने का अनुमान

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य संकेतकों के विश्लेषण के आधार पर इस साल के लिए संशोधित अनुमान जारी किया गया है। संशोधन अनुमान में कहा गया है कि एफएमसीजी सेक्टर की विकास दर 9-10 फीसदी से ज्यादा नहीं रहेगी। पिछले वर्ष 2018 में इसकी रफ्तार 14 फसीदी रही थी। इस साल इस क्षेत्र में कुल बिक्री 4.2 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

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गांवों में मुख्य तौर पर बिक्री स्नैक्स और बिस्कुट की

नीलसन के अनुसार एफएमसीजी कंपनियों की ग्रामीण क्षेत्र की बिक्री पर कमजोर मांग का असर पड़ हा है। ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 36-37 फीसदी बिक्री होती है। नीलसन इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (क्लाइंट सोल्यूशन) सुनील खियानी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी की 60 फीसदी खरीद स्नैक्स, बिस्कुट जैसे फूड आयटमों की होती है। शहरी क्षेत्रों में बिक्री सुस्ती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुस्ती लगभग दोगुनी है।

पहले शहरों से कहीं ज्यादा थी बिक्री वृद्धि दर गांवों में

पहले ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी की बिक्री में वृद्धि दर शहरों से ज्यादा थी क्योंकि आर्थित उन्नति के कारण ज्यादा एफएमसीजी उत्पाद खरीदने लगे थे। इसके अलावा उपलब्धता और बढ़ने से भी बिक्री बढ़ रही थी। लेकिन पिछली कुछ तिमाहियों से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग शहरों के मुकाबले कहीं ज्यादा सुस्त है। इसके कारण वृद्धि शहरों के बराबर रह गई है।

मूल्य के लिहाज से सुस्ती के संकेत

नीलसन का अनुमान है कि अगली कुछ तिमाहियों में फूड कैटागरी में वृद्धि दर बेहतर 10-11 फीसदी रहेगी जबकि परसनल केयर और होम केयर में रफ्तार 7-8 फीसदी रहेगी। चालू वित्त वर्ष की अगली तिमाही वृद्धि दर 7-8 फीसदी और दूसरी छमाही में आठ फीसदी रहेगी। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में मूल्य के लिहाज से वृद्धि दर 10 फीसदी घट गई जो सुस्ती का संकेत देती है।

वॉल्यूम की वृद्धि दर में ज्यादा सुस्ती

रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी की रफ्तार मुख्य तौर पर वॉल्यूम की वृद्धि दर धीमी पड़ने के कारण सुस्त पड़ी है। जनवरी-मार्च तिमाही में वॉल्यूम की वृद्धि दर 6.2 फीसद रह गई जबकि उससे पहले समान तिमाही में 9.9 फीसदी थी। खियानी के अनुसार अप्रैल-जून 2016 में वृद्धि दर सबसे कम 2.4 फीसदी रही थी।

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TAGS: FMCG growth, Nielsen, rural demand
OUTLOOK 17 July, 2019
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