फर्जीवाड़ा के आरोप में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन समेत 6 गिरफ्तार
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रवींद्र मराठे को गिरफ्तार कर लिया गया। पुणे पुलिस ने मराठे, बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेंद्र गुप्ता और दूसरे बैंक अधिकारियों के खिलाफ रियल एस्टेट डेवलपर डी एस कुलकर्णी से सांठगांठ कर पैसा इधर से उधर करने और शेयरहोल्डर्स को धोखा देने के आरोप में मामला दर्ज किया था। बैंक के पूर्व सीएमडी सुशील मनोत को भी जयपुर से पकड़ा गया था। सभी आरोपियों को 27 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा का मानना है कि गिरफ्तार किए गए अधिकारियों ने डीएसके ग्रुप के प्रमोटरों से सांठगांठ कर कथित तौर पर फर्जी ट्रांजैक्शन किए थे। इस विंग के सूत्रों ने दावा किया कि बैंक के अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दो चरणों में 60 करोड़ रुपये के लोन मंजूर किए थे।
पुलिस ने आरोप लगाया कि डीएसके ग्रुप ने लोन का पैसा प्रमोटर के घर की साज-सज्जा जैसे निजी कार्यों में लगा दिया। इस विंग ने एक बयान में कहा, 'बैंक अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए डीएसके डिवेलपर्स से सांठगांठ की। उन्होंने गलत इरादे से लोन देने के लिए ऐसा किया।'
सभी आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अधिकारियों के वकीलों ने कहा कि डीएसके ग्रुप को दिया गया लोन एक औपचारिक प्रक्रिया के जरिए मंजूर किया गया था और इसमें बैंक की क्रेडिट कमिटी से मंजूरी ली गई थी। वकीलों ने कहा कि इसलिए यह आरोप लगाना गलत है कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया या डीएसके ग्रुप को लोन देने के बदले कोई चीज हासिल की।
पुलिस और जांच एजेंसियां विभिन्न सरकारी बैंकों के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही हैं। यह कदम ऐसे लोन के मामलों में उठाया जा रहा है, जिनकी अदायगी फंस गई है। भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर 10 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन का बोझ है। अगस्त 2014 में सिंडिकेट बैंक के तत्कालीन सीएमडी को सीबीआई ने 50 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में अरेस्ट किया था।