Advertisement
19 August 2019

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था की मंदी पर जताई चिंता, कहा- सुधारों की जरूरत

file photo

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में मंदी को गंभीर चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए बिजली और नॉन-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों में तत्काल समस्याओं को ठीक करने और सुधारों के एक नए सेट की जरूरत है।

2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन को दूसरा कार्यकाल नहीं मिला था। उन्होंने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के शोध का उल्लेख करते हुए भारत में जीडीपी की गणना के तरीके पर नए सिरे से विचार की जरूरत बताई थी।

'कई अनुमान सरकारी अनुमानों से कम'

Advertisement

राजन ने कहा कि निजी क्षेत्र के विश्लेषकों के अनुसार, कई अनुमान हैं जो सरकारी अनुमानों से काफी कम हैं और मुझे लगता है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती बहुत ही चिंताजनक है। देश की विकास दर 2018-19 में घटकर 6.8 फीसदी पर आ गई। यह 2014-15 के बाद सबसे कम विकास दर है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार का विकास अनुमान सात फीसदी है, जबकि निजी क्षेत्र के कई विशेषज्ञों और आरबीआई का अनुमान इससे कम है। वाहन क्षेत्र में करीब दो दशक की सबसे बड़ी सुस्ती चल रही है। वाहन और संबद्ध सेक्टर में हजारों लोगों की नौकरी चली गई है। रियल एस्टेट सेक्टर में भी अनबिके मकानों की संख्या काफी बढ़ गई है। एफएमसीजी कंपनियां भी बिक्री में गिरावट दिखा रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों के कारोबारी प्रोत्साहनों की मांग कर रहे हैं।

'कारोबारियों में चिंता का माहौल'

उन्होंने कहा कि इस बात के संकेत हैं कि मंदी गहरा सकती है, ऑटो सेक्टर को दो दशकों में सबसे खराब संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें ऑटोमोबाइल और सहायक उद्योग में हजारों नौकरियों के नुकसान का आकलन किया गया है। एफएमसीजी कंपनियों में वॉल्यूम ग्रोथ में कमी आई है। राजन ने कहा कि आप चारों तरफ कारोबारियों की चिंता सुन सकते हैं कि उन्हें किसी तरह के प्रोत्साहन की जरूरत है।

'विकास दर को दो-तीन फीसदी बढ़ाने की जरूरत'

राजन ने कहा कि अब अर्थव्यवस्था और विकास दर को बढ़ावा देने के लिए "सुधारों का एक नया सेट" जरूरी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से उधार लेना वास्तव में सुधार नहीं है, बल्कि यह फौरी कदम है। सुधार करने वालों का इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि हम भारत के लोग भारत को कहां देखना चाहते हैं। सरकार को यह तस्वीर साफ होनी चाहिए कि कैसी अर्थव्यवस्था हम बनाना चाहते हैं। जरूरत यह समझने की है कि विकास दर को किस तरह से दो-तीन फीसदी बढ़ाया जाए। किस तरह से बिजली, नॉन- बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की समस्या का निदान किया जाए। यह निदान तेजी से हो न कि छह महीने बाद हो। समस्या से तत्काल  निपटने के लिए यह बहुत अहम है।

'निजी क्षेत्र को करना होगा प्रोत्साहित'

राजन ने कहा कि हमें ऐसे सुधारों की जरूरत है, जो निजी क्षेत्र को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमें कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भारतीय बाजार, लोगों और कारोबार को प्रोत्साहित कर सकें। हमें आज की जरूरत पर सोचना होगा। मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी पर राजन ने कहा कि 2008 के वित्तीय संकट की तुलना में बैंक दुनिया भर में बेहतर हैं। बैंक तब की तुलना में कम लाभान्वित होते हैं। राजन ने कहा कि वह एक और बड़ी वित्तीय संकट की भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं, लेकिन अगर यह आता है, तो यह विभिन्न स्रोतों से होगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Economic, slowdown, very, worrisome, new, set, reforms, needed, Rajan
OUTLOOK 19 August, 2019
Advertisement