सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर और शिविंदर को अवमानना का दोषी पाया
सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को अदालत की अवमानना का दोषी माना है। जापान की दवा बनाने वाली कंपनी दाइची सैंक्यो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार को) यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों भाइयों ने उसके आदेश का उल्लंघन किया है कोर्ट ने दोनों भाइयों से फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड से शेयर न निकालने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक भाई 1175 करोड़ रुपए जमा कर अवमानना की कार्रवाई से बच सकते हैं।
दाइची सैंक्यो नेदोनों भाईयों के खिलाफ दायर की थी याचिका
मलविंदर-शिविंदर के खिलाफ 3,500 करोड़ रुपए के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड मामले में लड़ रही जापान की दवा कंपनी दाइची सैंक्यो ने दोनों के खिलाफ मार्च में अवमानना याचिका भी दायर की थी। दाइची ने कहा था कि कोर्ट की रोक के बावजूद शिविंदर-मलविंदर ने फोर्टिस हेल्थकेयर के शेयर बेचे। दाइची सैंक्यो रैनबैक्सी डील विवाद में मलविंदर-शिविंदर से 3,500 करोड़ रुपए के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की मांग कर रही है।
‘अपनी संपत्तियों को ठिकाने लगा रहे हैं’
इस साल मार्च महीने में दाइची की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दोनों भाइयों के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गई थी। उनका कहना था कि दोनों भाई अदालत के आदेश का उल्लंघन कर अपनी संपत्तियों को ठिकाने लगा रहे हैं।
हाईकोर्ट में भी केस हार चुके हैं शिविंदर-मलविंदर
दाइची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा था। बाद में कहा कि मलविंदर और शिविंदर ने रैनबैक्सी के बारे में रेग्युलेटरी खामियों जैसी अहम जानकारियां छिपाईं। इस दलील के साथ उसने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। ट्रिब्यूनल ने दाइची के पक्ष में फैसला देते हुए दोनों भाईयों को भुगतान के आदेश दिए थे। सिंह भाइयों ने इसे भारत और सिंगापुर की अदालतों में चुनौती दी, लेकिन राहत नहीं मिली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी 2018 में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का फैसला बरकरार रखा।
ईडी ने की गिरफ्तारी
इससे पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेनबैक्सी हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर मालविंदर सिंह और रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड के पूर्व सीएमजी सुनील गोधवानी को गिरफ्तार किया था। इन दोनों लोगों को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के फंड गबन मामले में दोनों को गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने दोनों आरोपितों को तिहाड़ सेंट्रल जेल के अंदर अपनी हिरासत में ले लिया, जहां वह पहले से ही दिल्ली पुलिस द्वारा कथित घोटाले के संबंध में दायर एक मामले में बंद थे।
ईडी की ओर से उनके वकील ने कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी करने का आग्रह किया था।मालविंदर सिंह और गोधवानी पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत पैसे जमा करने का आरोप है।
न्यायिक हिरासत में थे सिंह बंधु
इससे पहले दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मालविंदर और शिविंदर सिंह को 31 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा था। उनके साथ ही तीन अन्य आरोपितों रैनबैक्सी के पूर्व चेयरमैन सुनील गोधवानी, पूर्व सीईओ कवि अरोड़ा और पूर्व फाइनेंस चीफ अनिल सक्सेना को भी कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
ईडी के मुताबिक, दोनों आरोपितों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए का गबन किया। दिल्ली पुलिस के द्वारा दर्ज एक केस के आधार पर ही इस मामले में अपनी जांच शुरू की है।