जीएसटी: रेस्टोरेंट में खाना हो सकता है सस्ता, छोटे कारोबारियों को भी मिलेगी बड़ी राहत
जीएसटी को लेकर जल्द ही एक बड़ी राहत मिल सकती है। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को आकर्षक बनाने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने मैन्युफैक्चरर्स और रेस्टोरेंट्स के लिए टैक्स दरों में कमी कर 1 फीसदी रखने का सुझाव दिया है। अभी 1 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले मैन्युफैक्चरर्स और रेस्तराओं को कंपोजिशन स्कीम के तहत 2 और 5 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है। ट्रेडर्स 1 फीसदी टैक्स चुकाते हैं।
मंत्रिसमूह की इस सिफारिश पर मुहर लगने के बाद एसी और नॉन एसी रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो सकता है। जीएसटी परिषद की अगली बैठक जो 10 नवंबर को गुवाहटी में होने वाली है। इसमें मंत्रिसमूह की इस सिफारिश पर मुहर लगा सकती है। एसी रेस्तरां पर अभी 18 फीसदी की दर से कर लगता है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाला जीओएम ने एकमुश्त योजना के दायरे में नहीं आने वाले एसी और नॉन एसी रेस्टोरेंट के बीच अंतर को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है। समिति ने इस योजना के दायरे में न आने वाले रेस्तरां पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है। हालांकि जिन होटलों में कमरों का किराया 7,500 रुपये से अधिक है, उस पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाए जाने की हिमायत की।
उल्लेखनीय है कि काउंसिल के इस कदम से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। देश में एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद एसी रेस्त्रां में खाने पर 18 प्रतिशत और गैर-एसी रेस्त्रां में खाने पर 12 प्रतिशत जीएसटी लग रहा था।
व्यापारी के लिए 2 कर हों
व्यापारियों के लिए दो कर की दरों का सुझााव दिया गया है। जीओएम ने यह भी सिफारिश की है कि दो राज्यों के बीच व्यापार करने वाली कंपनियों को एकमुश्त योजना का लाभ लेने की अनुमति दी जाए। करीब 15 लाख कंपनियों ने एकमुश्त योजना का विकल्प चुना है। इसके तहत उन्हें रियायती दर पर कर का भुगतान करना होता है और एक जुलाई से लागू जीएसटी के तहत उनके लिए अनुपालन को आसान बनाया गया है। जीएसटी के तहत एक करोड़ से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं।
क्या है एकमुश्त योजना
एकमुश्त योजना (कंपोजीशन) उन विनिर्माताओं, रेस्टोरेंट्स और व्यापारियों के लिए है जिनका कारोबार एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। पूर्व में यह सीमा 75 लाख रुपये थी और जीएसटी परिषद ने इस महीने 1 अक्टूबर से यह सीमा बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी थी। इसके तहत रियायती दर पर कर का भुगतान करना होता है। नियमित करदाता को मासिक आधार पर कर देना होता है। एकमुश्त योजना में आपूर्तिकर्ता को केवल एक रिटर्न भरने की आवश्यकता होती है और तिमाही आधार पर कर देना होता है। इसमें एकमुश्त योजना के तहत करदाता को विस्तृत रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता नहीं होती जबकि सामान्य करदाता के साथ इसका रखरखाव करना होता है।
राज्यों को 9 हजार करोड़
केंद्र सरकार ने जीएसटी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों को 8,698 करोड़ रुपये का कोष जारी किया है। जीएसटी लागू होने के बाद जुलाई-अगस्त के दौरान क्षतिपूर्ति के तौर पर यह राशि जारी की गई है। राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी सभी राज्यों को इससे लाभ होगा।
अक्टूबर में हुआ था जीओएम का गठन
बता दें कि अक्टूबर में हुई बैठक के दौरान जीओएम का गठन किया गया था। उसे विभिन्न श्रेणी के रेस्तरां के कर ढांचे पर पुनर्विचार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसका मकसद दरों को युक्तिसंगत बनाना था। जीओएम के अन्य सदस्यों में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल शामिल हैं।