किसानों की आय बढ़ाने हेतु कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे सरकार
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना होगा, तथा आगामी 2018—19 के बजट में इस मद में अलग से धन का आवंटन करना होगा। केंद्र सरकार ठोस प्रयासों के जरिए ही आगामी पांच वर्ष में कृषि उत्पादों के निर्यात को तिगुना कर किसानों की आय को दौगुना कर सकती है। कृषि ऋण माफी योजना या फिर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करना समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं है।
क्रॉप केयर फेडरेशन आॅफ इंडिया (सीसीएफआई) के चेयनमैन राजू श्रॉफ ने मुंबई में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि भारतीय कृषि उत्पादों की निर्यात मांग बढ़ाने के लिए ठोस उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहां कि इस बारे में कृषि मंत्रालय के साथ ही वाणिज्य मंत्रालय और एपीईडीए जैसे संस्थानों को पिछले कई महीनों से पत्र लिख रहे हैं, तथा अब हमें उम्मीद है कि आगामी बजट में हमारी मांगे मानी जायेंगी।
उन्होंने कहां कि हमने सरकार से अनुरोध किया है कि कृषि का उत्पादन बढ़ाने से लेकर खपत, मार्केटिंग एवं ग्लोबल ट्रेड पर आधारित योजना की तरफ ले जाया जाए। इस समय भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात 35 बिलियन यूएस डॉलर का है जिसे बढ़ाकर आगामी 5 वर्षों में 100 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचाने की जरुरत है। यह लक्ष्य कृषि—उत्पादन एवं व्यापार हेतु एकल प्राधिकरण की स्थापना करके प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि भारतीय दूतावासों से व्यापारिक राजदूतों के तौर पर काम लें, ताकि उनके मेजबान देशों में हमारे कृषि उत्पादों के निर्यात की मात्रा को दोगुनी या फिर तिगुनी की जा सके।
कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने से जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं आमदनी और खरीदने की क्षमता भी बढ़ेगी। निर्यात पर जोर देने का सुखद परिणाम यह होगा कि इससे जुड़ी भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण आदि गतिविधियों में तेजी आयेगी। कृषि निर्यात का अतिरिक्त हिस्सा गैर—कृषि व्यापार घाटे की पूर्ति कर सकता है। यूएसए में कृषि—निर्यात का हर अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर 8,000 नई नौकरियां उत्पन्न करता है।
किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है, क्योंकि कृषि उत्पादन में जरा से बढ़ोतरी हुई नहीं कि उसकी फसल कौडियों के मोल बिकती है जबकि खपत जस की तस बनी रहती है। आलू, प्याज, टमाटर तथा अन्य सब्जियों के किसानों की हालत तो और भी खराब है। फसल सुरक्षा रसायानों को सस्ता बना कर तथा इन्हें किसानों को आसानी से उपलब्ध करवा कर खेत के अंदर, फसल कटाई, भंडारण तथा परिवहन के दौरान कृषि उत्पादों को होने वाले नुकसान को कम करने में बड़ी मदद मिल सकती है। कृषि निवेश की ही तर्ज पर कीटनाशकों पर लगने वाले जीएसटी को भी मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की मांग की।