वर्ल्ड बैंक का अनुमान, भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत पर रहेगी बरकरार
चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी पर रहेगी। वर्ल्ड बैंक ने ये अनुमान जताया है कि आने वाले दो साल तक जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रह सकती है। वर्ल्डर बैंक ने 'ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स' की रिपोर्ट पेश की है जिसमें भारत समेत दुनियाभर के देशों की इकोनॉमी को लेकर अनुमान दिया है।
विश्वबैंक के अनुसार, 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। विश्वबैंक ने पिछले पूर्वानुमान में भी 2019-20 में वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। उसने कहा कि इसके बाद अगले दो वित्त वर्ष तक वृद्धि दर की यही गति बरकरार रहने वाली है।
चीन की वृद्धि दर में होगी गिरावट
बैंक ने चीन की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर भी अनुमान जताया है जिसमें उन्होंने कहा कि 2018 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.60 प्रतिशत रही। यह दर 2019 गिरकर में 6.20 प्रतिशत, 2020 में 6.10 प्रतिशत और 2021 में 6 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। इसके साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वर्ष 2021 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन के छह प्रतिशत की तुलना में डेढ़ प्रतिशत अधिक होगी।
जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहने के पीछे ये है वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, मांग बेहतर होने और निर्यात में सुधार होने की वजह से जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहेगी। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत पाकिस्तान के बीच अगर टेंशन आगे बढ़ती है तो इसका असर ग्रोथ पर नजर आएगा। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में पुलवामा आतंकी हमले का भी जिक्र किया गया है। ये भी कहा है कि अगर ऐसी स्थिति दोबारा आती है तो निवेश पर इसका असर पड़ेगा।
2020 में पाकिस्तान का जीडीपी स्तर 7 फीसदी का आंकड़ा छू सकता है
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के टारगेट से कम महंगाई दर रहने का फायदा भी मिलेगा। वहीं, वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान के जीडीपी के अनुमानों में 0.2 फीसदी की कटौती की है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा है कि साल 2020 में पाकिस्तान का जीडीपी स्तर 7 फीसदी का जादुई आंकड़े को छू सकता है।
इन देशों पर पड़ सकता है ब्रेक्जिट का असर
रिपोर्ट के मुताबिक, गुड्स और सर्विस टैक्स (जीएसटी) अभी भी पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया है और अभी सामान्य होने की प्रक्रिया जारी है। इसके कारण सरकारी आय के बारे में काफी अनिश्चितता बनी हुई है। विश्व बैंक का कहना है कि ब्रेक्जिट का असर दक्षिण एशियाई देशों की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है जिनके ब्रिटेन के साथ व्यापारिक समझौते हैं। ब्रेक्जिट का असर भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों पर पड़ सकता है।