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05 May 2018

संकट में केरल का काजू उद्योग, 700 में से सिर्फ 10 फैक्ट्रियां ही बचीं

ANI

इन दिनों केरल का काजू उद्योग बड़े संकट से जूझ रहा है। राज्य में 90 प्रतिशत फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। राज्य की ट्रे़ड यूनियन्स ने इस संकट के लिए राज्य सरकार और उसकी गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

काजू उत्पादन का मुख्यालय राज्य का कोल्लम जिला

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केरल के कोल्लम जिले को काजू उत्पादन का मुख्यालय माना जाता है। यहां काजू प्रोसेसिंग और निर्यात का काम बडे़ स्तर पर होता है, लेकिन फिलहाल यह बड़े नुकसान से गुजर रहा है।

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700 से घटकर 10 हुईं काजू की फैक्ट्रियां

कोल्लम में काजू उद्योग की करीब 700 फैक्ट्रियां थीं जो घटकर 10 रह गई हैं, जबकि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या करीब 3 लाख है। इन फैक्ट्रियों में बड़ी संख्या में जिले की महिलाएं काम करती थीं, जिनके घर इनके सहारे चलते थे।

कम मजदूरी पर काम करने के लिए भी तैयार

इन फैक्ट्रियों में काम करने वालों का कहना है कि फैक्ट्री खुल गईं तो वे कम मजदूरी पर काम करने के लिए भी तैयार हैं। एक प्रोसेसिंग यूनिट पर काम करने वाले सुधर्मा बताते हैं, 'मुझे हर महीने लगभग 3000 रुपये मिलते थे। अब मैं खाली बैठा हूं। हम उम्मीद करते हैं कि कंपनी जल्द ही वापस खुले। मालिक कहते हैं कि केरल सरकार ने वेतन बढ़ाने का निर्देश दिया, जिसकी वजह से उन पर संकट आ गया। हम कम मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हैं।’

कंपनी में 640 से अधिक वर्कर थ्‍ाे

एक अन्य वर्कर गिरिजा ने बताया, 'मैं छीलने का काम करती थी। हमें प्रोसेस किए गए काजुओं के वजन के आधार पर मजदूरी मिलती थी जिसे 16 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो कर दिया गया। हमारी कंपनी में 640 से अधिक वर्कर थे।'

इस संकट के लिए सरकार जिम्मेदार  

वहीं, इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने राज्य सरकार को इस संकट का जिम्मेदार बताया है। यूनियन के अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन ने कहा है कि पिछले 6 महीने में केरल में काजू की फैक्ट्रियां सरकार की गलत नीतियों की वजह से बंद हो रही हैं।

इस उद्योग को बर्बाद करना चाहते हैं कुछ लोग

उन्होंने कहा, 'यह उद्योग कोल्लम और आस-पास के 3 लाख से भी अधिक लोगों को रोजगार देता है। कुछ लोग गैरजरूरी बातें लागू करके इस उद्योग को बर्बाद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्कर्स को 350 रुपये मिलते हैं जबकि राज्य सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये कर दी है। इसके लिए अलग से व्यवस्था होनी चाहिए।

गुजारिश करने के बाद भी सरकार नहीं कर रही मदद

इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने बताया कि अब काजू की फैक्ट्रियां तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक में जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रेड यूनियन्स और आम लोगों के कई बार गुजारिश करने के बाद भी सरकार कोई मदद नहीं कर रही है।

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TAGS: Kerala, Crisis-ridden, cashew industry, leaves, Lakhs of workers, jobless
OUTLOOK 05 May, 2018
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