मूडीज ने नहीं बढ़ाई भारत की रेटिंग
लगभग तीन महीने पहले मूड़ीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग बीएए-3 कर दी थी। रेटिंग का यह स्तर सबसे निचले स्तर से एक दर्जे ऊपर है। मूडीज ने गत 20 सितंबर को अपने आकलन में भारत में सुधारों की प्रक्रिया को धीमा बताते हुए कहा था कि निजी निवेश ठहरा हुआ है और डूबा कर्ज चुनौती पैदा कर रहा है।
उसी वक्त वित्त मंत्रालय ने मूडीज द्वारा अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि मूडीज ने सरकार द्वारा बढ़ाए गए सुधार उपायों को नजरअंदाज किया और उसे देश की सॉवरेन रेटिंग में सुधार करने के लिए ‘अनिश्चितकाल’ तक इंतजार नहीं करना चाहिए। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास ने कहा था, ‘हमारी चिंता पूरी प्रक्रिया के तरीके को लेकर है, निश्चित रूप से रेटिंग एजेंसियां किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए स्वतंत्र हैं।’
उस वक्त दास ने यह भी कहा था, ‘हमें तरीके में खामी दिखी है। हमने इस बात का उल्लेख किया है। वे जो तरीका अपना रहे हैं उसको लेकर हमने गंभीर चिंता जताई है। इसके अलावा अन्य मुद्दे भी हैं। हमने उन्हें सुधारों के बारे में बताया है। भारत में सुधारों की गहराई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह पिछले कई साल विशेषरूप से आखिरी दो साल से चल रही है। सुधारों की गति और सरकार द्वारा सुधारों को आगे बढ़ाने की रफ्तार को भी देखा जाना चाहिए था।’
हालांकि उस वक्त एजेंसी ने आर्थिक सुधारों के लागू होने के साथ रेटिंग में सुधार का भरोसा जरूर दिलाया था। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर में मूडीज को पत्र लिखकर उसका ध्यान इस और दिलाया था कि पिछले कुछ अर्से में भारत के कर्ज में आई गिरावट, आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों, आर्थिक विकास के स्तर और वित्तीय मजबूती के पक्षों को नजरअंदाज किया गया है। लेकिन मूडीज का मानना है कि भारत में कर्ज की स्थिति अभी उतनी बेहतर नहीं हो पाई है। बैंकों के 136 अरब डॉलर के बैड लोन्स भी मूड़ीज की चिंता की वजह है।
पिछले लगभग ढाई वर्ष में मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कई अहम कदम उठाये हैं। निवेश बढ़ाने, महंगाई घटाने, राजस्व घाटा कम करने और काले धन के खिलाफ लड़ाई के प्रयास भी लगता है मूड़ीज और अन्य वैश्विक एजेंसियों को कायल नहीं कर पाये हैं।
एजेंसी