45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पर नीति आयोग की सफाई, कहा- सरकार ने अभी जारी नहीं की रिपोर्ट
बेरोजगारी को लेकर आए नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के आंकड़ों के बाद विपक्ष मोदी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर फेल होने को लेकर निशाना साध रहा है। इस सर्वे के मुताबिक देश में रोजगार की हालत पिछले 45 सालों में सबसे खराब है। इसे लेकर नीति आयोग की तरफ से सफाई आई है। नीति आयोग की तरफ से वाइस चेयरमैन राजीव कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सरकार ने जारी नहीं की है, क्योंकि यह अभी भी प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि जब डेटा तैयार हो जाएगा तब इसे रिलीज किया जाएगा।
उन्होंने कहा, डेटा इकट्ठा करने की विधि अब बदल गई है। दो डेटा सेट की तुलना सही नहीं है। यह डेटा वेरिफाइड नहीं है। इसे अंतिम रिपोर्ट के रूप में इस्तेमाल करना ठीक नहीं है।
रिपोर्ट को लेकर विवाद
ये वही रिपोर्ट है जिसे जारी ना करने को लेकर केंद्र सरकार विवादों में है। रिपोर्ट जारी ना करने पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के दो सदस्यों ने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 की बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है। देश के शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 5.3 फीसदी है। 15-29 साल के शहरी पुरुषों के बीच बेरोजगारी की दर 18.7 फीसदी है। 2011-12 में ये दर 8.1 फीसदी थी। 2017-18 में शहरी महिलाओं में 27.2 फीसदी बेरोजगारी है जो 2011-12 में 13.1 फीसदी थी।
ग्रामीण पुरुषों-महिलाओं की बेरोजगारी दर
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ग्रामीण पुरुषों और महिलाओं की बात करें तो बेरोजगारी 17 फीसदी और 13.6 फीसदी है जो 2011-12 में 5 फीसदी और 4.8 फीसदी थी। NSSO का ये सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया है। इस सर्वे की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में आने और नोटबंदी अमल में लाने के बाद का पहला सर्वे है जो देश में रोजगार की हालत की पड़ताल करता है।
NSSO सर्वे ये भी कहता है कि लोग काम-धंधे से दूर हो रहे हैं। आंकड़ो के मुताबिक नौकरी कर रहे या नौकरी ढूंढ रहे लोगों की तादाद कम हुई है। इस आंकड़े को दिखाने वाली LFPR की दर 2011-12 में 39.5% थी जो 2017-18 में घटकर 36.9% हो गई।