नोटबंदी का असर नहीं, सात फीसदी रही जीडीपी वृद्धि दर
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आज जारी तीसरी तिमाही और पूरे वर्ष के अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर को 7.1 प्रतिशत पर कायम रखा है। इससे पहले जनवरी में नोटबंदी के प्रभाव को शामिल किए बिना जारी पहले अग्रिम अनुमान में भी पूरे वर्ष की वृद्धि का यही आंकड़ा जारी किया गया था।
इस बीच, सीएसओ ने पहली और दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के संशोधित आंकड़े जारी किए हैं जिनमें पहली तिमाही में संशोधित वृद्धि दर बढ़कर 7.2 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत हो गई।
ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि तीसरी तिमाही के मध्य में (8 नवंबर, 2016) के नोटबंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने इस दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है। इन संगठनों का मानना है कि नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अल्पावधि असर हुआ है।
सीएसओ ने बयान में कहा कि वर्ष (2011-12) के स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी 2016-17 में 121.65 लाख करोड़ रुपये पर कायम रहने का अनुमान है। जनवरी, 2017 में जारी पहले संशोधित अनुमान में 2015-16 के लिए इसके 113.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।
बयान में कहा गया है कि 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 7.9 प्रतिशत रही थी। वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2015-16 के 104.70 लाख करोड़ रुपये से 2016-17 में 111.68 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। बयान में कहा गया है कि 2016-17 में मूल कीमत पर वास्तविक जीवीए 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2015-16 में 7.8 प्रतिशत रहा था। वित्त वर्ष 2016-17 में कृषि, वन और मत्स्य क्षेत्र की जीवीए 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल इस क्षेत्र की वृद्धि 0.8 प्रतिशत रही थी।
राष्ट्रीय आय 2016-17 के दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र की जीवीए की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 10.6 प्रतिशत रही थी। (एजेंसी)