प्रियंका का मोदी सरकार पर हमला, कहा- आर्थिक संकट पर सरकार की चुप्पी खतरनाक
कांग्रेस पार्टी के महासचिव प्रियंका गांधी ने देश में आर्थिक मंदी को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि लोगों को नौकरियों से निकाला जा रहा है। नौकरियों में कमी को लेकर प्रियंका गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार मौन है। आर्थिक संकट को लेकर सरकार की चुप्पी खतरनाक है। सवालिया लहजे में प्रियंका ने कहा कि आखिर इस देश में भयंकर मंदी के लिए जिम्मेदार कौन है।
'सरकार की घोर चुप्पी खतरनाक है’
प्रियंका गांधी ने कहा, 'सरकार की घोर चुप्पी खतरनाक है। कम्पनियों का काम चौपट है। लोगों को काम से निकाला जा रहा है, बीजेपी सरकार मौन है। आखिर देश में इस भयंकर मंदी का जिम्मेदार कौन है?' इस ट्वीट के साथ प्रियंका ने अखबारों में छपी कुछ खबरें भी शेयर कीं, जिसके मुताबिक वाहनों की बिक्री में काफी गिरावट दर्ज की गई है और ऑटो क्षेत्र में 10 लाख से अधिक लोगों की नौकरी जाने का खतरा है तथा कई कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी है।
इससे पहले भी प्रियंका ने किया था ये ट्वीट
इससे पहले उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था, 'देश का आम नागरिक भाजपा सरकार के शीर्ष नेताओं से, वित्त मंत्री से इस भयंकर मंदी पर भी कुछ सुनना चाहता है। फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, नौकरियां खत्म हो रही हैं, लेकिन सरकार के लोगों का मुंह नहीं खुल रहा। क्यों?
वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट
बता दें कि मौजूदा समय में ऑटो सेक्टर में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। जुलाई महीने में हुई यह गिरावट पिछले 19 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। गिरावट करीब 19 फिसदी तक पहुंच गई है। त्यौहारी मौसम में वाहनों की कम बिक्री से इंडस्ट्री में मंदी की आहट सुनाई दे रही है।
इन वाहनों की बिक्री में आई काफी कमी
उद्योग निकाय एसआईएएम की ओर से जारी डाटा के मुताबिक, कारों और एसयूवी, दोपहिया और तीन-पहिया वाहनों और वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में काफी कमी आई है। पिछले साल जुलाई महीने में यह आंकड़ा 22.4 लाख यूनिट था जो कि घटकर 18.2 लाख यूनिट तक आ गया है।
अर्थव्यवस्था में आई मंदी और बाजार में नकदी की कमी की वजह से बिक्री में गिरावट
ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट बिक्री में गिरावट के लिए अर्थव्यवस्था में आई मंदी और बाजार में नकदी की कमी को जिम्मेदार मान रहे हैं। यह मंदी पिछले दो दशकों में पहली बार देखने को मिली है। इससे पहले दिसंबर 2000 में 22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी।