आम्रपाली समूह और उससे जुड़े लोगों का होगा फॉरेंसिक ऑडिट, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
मुसीबतों में फंसे आम्रपाली समूह पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कठोर टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत बड़ा फ्रॉड है। रियल एस्टेट में हमने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। यदि 100 लोग भी जेल भेजने पड़े तो हम भेजेंगे। एक भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले 46575 फ्लैटों का निर्माण 8500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा करने के लिए सरकारी संस्था एनबीसीसी को कोष का आश्वासन दिया। इसके बाद कोर्ट ने बड़े घोटाले की तरफ इशारा किया।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शीर्ष अदालत ने आम्रपाली द्वारा गबन के आकलन के लिए उसके लेखे-जोखे की फॉरेंसिक ऑडिट का समर्थन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है और उन्होंने इसे घर खरीददारों के साथ हुई ‘बड़ी गंभीर धोखाधड़ी’ करार दिया। अदालत ने आम्रपाली समूह से ऑडिटरों के साथ सहयोग करने या अपने परिसरों की सीलिंग और निदेशक, उनकी पत्नियों तथा बेटियों सहित सभी के खातों के फॉरेंसिक ऑडिट का सामना करने को कहा।
‘गबन का हर रुपया वापस लाने का करेंगे प्रयास’
नैशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन इंडिया लिमिटेड (एनबीसीसी) द्वारा छह से 36 महीनों में 8500 करोड़ रुपये की लागत से 46575 फ्लैटों वाली 15 आवासीय परियोजनाएं पूरा करने का प्रस्ताव देने पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि अदालत धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों तक पहुंचने और गबन का हर रुपया वापस लाने का प्रयास करेगी।
एनबीसीसी ने परियोजनाओं को पूरा करनेका रखा प्रस्ताव
पीठ ने कहा, ‘हम आपसे (एनबीसीसी) कोई धन लगाने को नहीं कहेंगे। हम आपको परियोजना शुरू करने के लिए पूरा कोष उपलब्ध कराएंगे। विचार यह है कि काम शुरू होना चाहिए।’ पीठ ने आम्रपाली समूह से एनबीसीसी के प्रस्ताव पर जवाब देने को कहा। एनबीसीसी ने शीर्ष अदालत से कहा है कि वह करीब 8500 करोड़ रुपये की निर्माण लागत से 36 महीनों के भीतर आम्रपाली समूह के 46575 फ्लैटों वाली 15 आवासीय परियोजनाओं को पूरा कर सकती है। एनबीसीसी ने चरणबद्ध तरीके से परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अदालत के सामने एक प्रस्ताव रखा।