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03 November 2018

सेबी का 14,000 करोड़ रुपये के रिफंड का नया आदेश ‘दोहरे भुगतान’ के समान: सहारा

File Photo

मुश्किलों का सामना कर रहे सहारा समूह ने निवेशकों की 14,000 करोड़ रुपये की राशि वापस करने के बारे में बाजार विनियामक सेबी के नए आदेश पर कहा कि ऐसा करना ‘दोहरा भुगतान’ करने जैसा होगा क्योंकि 17 करोड़ रुपये को छोड़कर निवेशकों का पूरा भुगतान जा चुका है।

सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) और सुब्रत रॉय सहित कई लोगों के खिलाफ बाजार नियामक केंद्रीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश पर विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए सहारा समूह ने कहा है कि यह ‘नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध’ है और वह उचित मंच पर इस मुद्दे को उठाएगा।

सेबी के साथ सहारा की लंबे समय से चल रही है कानूनी लड़ाई 

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सहारा समूह की दो अन्य कंपनियों के खिलाफ निवेशकों की 24,000 करोड़ से अधिक की राशि लौटाने के सेबी के 2011 के आदेश को लेकर सेबी के साथ उसकी लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है। सेबी ने उस आदेश में समूह की कंपनी सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों का धन लौटाने का आदेश दिया था।

सहारा पहले ही 98 प्रतिशत राशि सीधे निवेशकों को लौटा चुका है

सहारा समूह उस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कायम व्यवस्था के तहत विशेष सेबी-सहारा खाते में उस राशि का एक बड़ा हिस्सा पहले ही जमा करा चुका है ताकि उससे निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके। सहारा समूह का कहना है कि वह पहले ही 98 प्रतिशत राशि सीधे निवेशकों को लौटा चुका है।

'सेबी का आदेश धन को दोबारा भुगतान करने की तरह का मामला हो जाएगा'

अंतिम जानकारी के मुताबिक, सेबी निवेशकों के ब्योरे की पुष्टि के बाद उनको अब तक 100 करोड़ रुपये लौटा चुका है। अब एसआईसीसीएल के मामले में भी सहारा का कहना है कि सेबी का आदेश धन को दोबारा भुगतान करने की तरह का मामला हो जाएगा। यह मामला एसआईसीसीएल द्वारा 1998- 2009 के दौरान करीब दो करोड़ निवेशकों से 14,106 करोड़ रुपये जुटाए जाने का है। इसमें कहा गया है कि यह राशि एक करोड 98 लाख 39 हजार 939 निवेशकों से जुटाई गई थी। 

ओएफसीडी देनदारी के तौर पर मात्र 17 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है 

समूह ने कहा है,“एसआईसीसीएल ने ओएफसीडी से संबंधित अपनी सभी देनदारियों का भुगतान कर दिया है और अब 54,804 सदस्यों की ओएफसीडी देनदारी के तौर पर मात्र 17 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है। भुगतान किए गए ब्याज का टीडीएस आयकर विभाग में जमा किया जा चुका है। सेबी के इस आदेश के द्वारा उस देनदारी का दुबारा भुगतान (दोहरी देनदारी) का मामला बनता है जिसे एसआईसीसीएल ने पहले ही भुगतान कर दिया है।”

'कंपनी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए धन जुटाया'

सेबी ने कहा है कि एसआईसीसीएल ने कंपनी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ओएफसीडी की पेशकश के जरिए धन जुटाए। हालांकि समूह का कहना है कि एसआईसीसीएल ने 1998 में ओएफसीडी जारी करने के लिए कंपनी रजिस्ट्रार, कंपनी मामलों के मंत्रालय से प्रथम बार लिखित अनुमति प्राप्त की थी। उसने कहा है, “हमने हर कार्य कानून के अनुसार और संबंधित सरकारी अधिकारियों से समुचित अनुमतियां लेकर ही किया था।” 

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TAGS: SEBI, latest refund, order goes, against natural, law, Sahara
OUTLOOK 03 November, 2018
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