जीएसटी दरों में बदलाव की आवश्यकता: हसमुख अढिया
राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने देश के बड़े आर्थिक सुधार जीएसटी के टैक्स रेट्स में बदलाव की जरूरत बताई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, अढिया ने कहा कि लघु और मझोले उद्योगों के बोझ को कम करने के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों की संरचना में कुछ बदलाव करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी प्रणाली को स्थिर होने में लगभग एक साल का वक्त लगेगा। जीएसटी में एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य लेवी जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट समाहित कर दिए गए हैं।
अढिया ने कहा, “जीएसटी में टैक्स रेट्स में बड़े सुधार की आवश्यकता है। ऐसा भी संभव है कि एक चैप्टर में दिए गए सामान अलग-अलग टैक्स रेट में आ गए हों। हमें चैप्टर के हिसाब से वस्तुओं पर नजर डालनी चाहिए और यह देखा जाना चाहिए कि छोटे और मझोले कारोबारियों पर बोझ ज्यादा न हो। यदि ऐसा पाया जाता है कि इन पर और आम आदमी पर टैक्स का बोझ है तो उसे कम किया जाना चाहिए। इससे जीएसटी की स्वीकार्यता बढ़ेगी।”
जीएसटी लागू हुए लगभग चार महीने हो गए हैं। इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कुछ प्रारंभिक दिक्कतें हैं और इसके अनुपालन से जुड़े मुद्दे उभरे हैं। जीएसटी परिषद ने कई मुद्दों का समाधान निकाला भी है। परिषद इस प्रणाली में सर्वोच्च निर्णायक निकाय है। परिषद ने लघु और मझोले कारोबारों को करों का भुगतान करने और जीएसटी दाखिल करने को आसान बनाने के लिए इसके कई पहलुओं में हल्के बदलाव किए हैं। इसके अलावा निर्यातकों के लिए रिफंड प्रक्रिया को भी आसान बनाया है तथा 100 से अधिक वस्तुओं पर जीसटी की दरों को तर्कसंगत बनाया है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए फिटमेंट कमेटी को गणना करने की आवश्यकता होगी, जो यह तय करेगा कि किस वस्तु की दर को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। ज्ञात हो कि जीएसटी व्यवस्था पहली जुलाई को लागू की गई थी।
अढिया ने यह भी कहा कि समिति अपने सुझावों को जीएसटी परिषद के सामने यथाशीघ्र रखेगी।
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद की 23वीं बैठक वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में गुवाहाटी में 10 नवंबर को होनी है। उन्होंने कहा कि हम जितनी जल्दी हो सके इसे करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि फिटमेंट कमेटी इस पर काम करने के लिए कितना समय लेती है।