टाटा संस ने मिस्त्री पर साधा निशाना, लगाया भरोसा तोड़ने का आरोप
टाटा संस ने नौ पन्नों के एक बयान में मिस्त्री के उस पत्र का बिंदुवार खंडन किया है जो कि उन्होंने 24 अक्तूबर को कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्यों को भेजा था। टाटा संस ने आरोप लगाया कि मिस्त्री स्वतंत्र निदेशकों का इस्तेमाल करते हुए इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) का नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जो कि ताज ब्रांड के होटलों का परिचालन करती है। मिस्त्री की अगुवाई वाली आईएचसीएल में टाटा संस की केवल 28.01 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंपनी ने पिछले सप्ताह शेयर बाजारों को सूचित किया कि स्वतंत्र निदेशकों ने चेयरमैन और उनके नेतृत्व का समर्थन किया है। टाटा संस ने कहा, टाटा संस ने चार साल पहले मिस्त्री को चेयरमैन नियुक्त कर जो भरोसा जताया था, मिस्त्री ने उसे तोड़ा और टाटा समूह की मुख्य परिचालन कंपनियों का नियंत्रण हासिल करने की मंशा रखी ताकि टाटा संस व टाटा प्रतिनिधियों को निकाल बाहर किया जा सके। समूह का कहना है कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान समूह की 40 कंपनियों के लाभांश में गिरावट आई जबकि खर्च बढ़ा।
पत्र में बीते चार साल में मिस्त्री के प्रदर्शन में कमियों को रेखांकित किया गया है। इसमें टाटा स्टील यूरोप, डोकोमो-टाटा टेली संयुक्त उद्यम व टाटा मोटर्स के भारतीय परिचालन को संकट वाली कंपनियों के रूप में रेखांकित किया गया है जहां परिचालन में कोई उल्लेखनीय सुधार देखने को नहीं मिला। इसके विपरीत बढ़ते ऋण, बढते घाटे, घटती बाजार भागीदारी से हालात खराब हुए। मिस्त्री ने निदेशकों को अपने पत्र में आगाह किया था कि टाटा समूह की फर्मों के समक्ष 1.18 लाख करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डालने का जोखिम है। समूह ने टाटा स्टील यूरो के संकट को निपटाने व जापान की डोकोमो के साथ लड़ाई के मामले में मिस्त्री की भूमिका पर सवाल उठाया है। साइरस मिस्त्री को पिछले महीने टाटा संस के चेयरमैन पद से अप्रत्याशित रूप से हटा दिया गया था तब से मिस्त्री और रतन टाटा के नेतृत्व वाले 100 अरब डॉलर से अधिक के समूह के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। मिस्त्री अब भी समूह की कई बड़ी कंपनियों के चेयरमैन पद पर बने हुए हैं।