भारत और अमेरिका में बिकने वाले पतंजलि के उत्पादों में दावे अलग-अलग
आयुर्वेदिक औषधियों के अलावा तमाम दूसरी वस्तुएं बनाने वाली बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के भारत में बिकने वाले और अमेरिका को निर्यात होने वाले शरबतों में अमेरिकी हेल्थ रेगुलेटर यूएसएफडीए को अंतर मिला है।
यूएसएफडीए को मिला औषधीय दांवों में अंतर
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) का कहना है कि इन शरबतों के लेबलों में अतिरिक्त औषधीय और आहार संबंधी दावे अलग-अलग है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी के उत्पाद और उनकी पैकेजिंग निर्यात और घरेलू बाजार के लिए अलग-अलग है। अमेरिकी फूड सेफ्टी कानून भारतीय कानून से कहीं ज्यादा सख्त हैं।
गड़बड़ी होने पर कड़ी सजा और जुर्माना संभव
अगर कंपनी के अमेरिका में बिक रहे उत्पादों में गलत ब्रांडिंग पायी जाती है तो यूएसएफडीए उत्पादों के आयात पर रोक लगाने का चेतावनी पत्र जारी कर सकता है। इसके अलावा उसके उत्पाद जब्त हो सकते हैं और कंपनी के खिलाफ फेडरल कोर्ट से आदेश जारी हो सकता है। यहां तक कि उस पर पांच लाख डॉलर (करीब 3.5 करोड़ रुपये) जुर्माना और कंपनी के अधिकारियों को तीन साल तक की सजा भी हो सकती है।
पिछले साल यूएसएफडीए ने किया था हरिद्वार प्लांट का निरीक्षण
यूएसएफडी के जांचकर्ता मौरीन ए. वेंटजेल ने पिछले साल सात और आठ मई को पतंजलि आयुर्वेद लि. के हरिद्वार प्लांट की यूनिट-3 का निरीक्षण किया था। उन्होंने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में कहा कि पतंजलि ब्रांड से बेल शरबत और गुलाब शरबत उत्पादों की मार्केटिंग होती है। लेकिन भारतीय लेबलों में अतिरिक्त औषधीय और आहार संबंधी दावे किए गए हैं। जांचकर्ता ने यह रिपोर्ट कंपनी को भी भेजी है। पतंजलि ग्रुप के प्रवक्ता को भेजे सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।
शहद प्रोसेसिंग यूनिट पर मंडरा रहे थे कबूतर
रिपोर्ट के अनुसार जांच के दौरान पतंजलि के हरिद्वार प्लांट के शहद प्रोसेसिंग क्षेत्र में उत्पादन उपकरणों के ऊपर कबूतर उड़ते पाए गए। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि जल्दी ही कबूतरों को यहां से हटाया जाएगा। आठ मई 2018 को जब शहद उत्पादन शुरू हुआ, तब उस बिल्डिंग में कबूतर नहीं थे।
2017-18 में पतंजलि की बिक्री में रही गिरावट
भारत में ही नहीं, विदेश में भी पिछले वर्षों के दौरान बाबा रामदेव की लोकप्रियता के साथ पतंजलि के उत्पादों की बिक्री बढ़ती रही। हालांकि वर्ष 2017-18 में उसकी बिक्री दस फीसदी घटकर 8135 करोड़ रुपये हो गई। इसके बाद कंपनी ने 2018-19 में 9030 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होने की जानकारी दी।