नोटबंदी के बाद बैंक फंसे कर्ज की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते: रंगराजन
आम बजट-2017-18 पर परिचर्चा मेें भाग लेते हुए रंगराजन ने कहा कि नई करेेंसी पूरी तरह तंत्र में आने के बाद हालांकि, नोटबंदी का प्रतिकूल प्रभाव समाप्त हो जायेगा, लेकिन कुछ प्रभाव एेसे भी होंगे जो दूर नहीं हो सकते। रीयल एस्टेट जैसे क्षेत्राेें को अपने कारोबारी माॅडल पर नए सिरे से विचार करना होगा। परिचर्चा का आयोजन आईसीएफएआई फांउडेशन फाॅर हायर एजूकेशन ने किया था।
उन्हाेेंने कहा, निश्चित रूप से बैंकिंग प्रणाली दबाव मेें है। इस समस्या का निदान सिर्फ पूंजीकरण के जरिये ही किया जा सकता है। यहां यह याद रखने की जरूरत है कि पुरानी बासेल-एक प्रणाली में भी जोखिम वाली संपत्तियाेें के आठ प्रतिशत तक पूंजी का प्रावधान रखा गया था। एेसे मेें 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी की तुलना एक या दो लाख करोड़ रुपये से नहीं होनी चाहिए। वर्ष 2017-18 के दौरान बैंकों मेें इतनी ही राशि डालने का प्रस्ताव किया गया है।
रंगराजन ने कहा कि जो पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है वह पर्याप्त नहीं है। मुझे लगता है कि इससे बैंक अपने संपत्ति पोर्टफोलियो मेें डूबे कर्ज की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
उन्हाोंने कहा कि सबसे अच्छा कदम यह होगा कि वे जितना ज्यादा हो सके उतनी गैर निष्पादित आस्तियों की वसूली करेें।
इससे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व चेयरमैन रंगराजन ने कहा था कि बजट की मंशा सही है। मंशा की तरह कार्रवाई भी होनी चाहिए। रंगराजन ने कहा कि बजट मेें राजस्व अनुमान बहुत अधिक महत्वाकांक्षी नहीं है एेसे मेें यह हासिल हो जाएगा। भाषा