यूरिया न मिलने से किसान परेशान
पिछले साल केंद्र सरकार ने नाफ्था आधारित यूरिया उत्पादन पर से सब्सिडी हटा दिया दी थी जिससे पंजाब और हरियाणा से लेकर देशभर के किसानों तक में हाहाकार मच गया। सब्सिडी हटने से कई संयंत्र जब बंद हो गए तब सरकार ने इसमें सुधार किया।लेकिन इसके बाद परिवहन सब्सिडी को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई और कई राज्यों को अपने कोटे का यूरिया सही समय पर नहीं पहुंच पाया। हालांकि सरकार का कहना है कि देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है और चालू रबी सत्र के दौरान पिछले साल के मुकाबल देश में ज्यादा खाद की बिक्री हुई है।
यूरिया संकट का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा के किसानों पर पड़ा है। जानकारों का कहना है कि नवंबर से जनवरी के दौरान यूरिया की खपत ज्यादा होती है लेकिन केंद्र सरकार इन दोनों राज्यों को उनका कोटा ही सप्लाई नहीं कर पाई। दोनों राज्यों में चूंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है इसलिए कोई भी सरकार खुलकर केंद्र की शिकायत करने से कतरा रहे हैं।
शुरू में पंजाब के मुक्चयमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश का कोटा जल्द जारी करने का अनुरोध भी किया था लेकिन बाद में कहा कि राज्य में यूरिया का संकट जमाखोरी और कालाबाजारी के कारण पैदा हो रहा है। उधर, हरियाणा सरकार तो शिकायत करने की भी हिम्मत नहीं जुटा सकी।
राज्य के कृषि मंत्री ओ.पी. धनकड़ कहते हैं कि इस बार 70 हजार मीट्रिक टन हुड्डासरकार से ज्यादा आया है लेकिन आस-पड़ोस के राज्यों की दर कम होने के कारण हमें दिञ्चकत आ रही है। लेकिन कुछ स्थानों पर किसानों का धैर्य जवाब दे गया। हिसार में किसानों को लाठियां खानी पड़ीं, झज्जर में किसानों ने यूरिया का लदा ट्रक लूट लिया जबकि जींद में डिपो लूट ले गए। जालंधर और लुधियाना में कालाबाजारी के आरोप में चार डिपो के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं लेकिन किसानों की नाराजगी बनी हुई है।
गेहूं के केंद्रीय खाद्य पूल में पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत है। पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया एक जरूरी खाद है लेकिन इसकी किल्लत से देश की खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में कहा, देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है। रबी सत्र के दौरान जनवरी 2015 तक बिक्री पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले अधिक रही है।
फरवरी में उर्वरक मंत्रालय ने 16.71 लाख टन यूरिया की जरूरत के मुकाबले 29.6 लाख टन की आपूर्ति की योजना बनाई है। इनमें से 14.71 लाख टन यूरिया 15 फरवरी तक उपलद्ब्रध करा दिया गया है। मंत्रालय का कहना है कि आगामी खरीब सत्र के दौरान यूरिया की पर्याप्त उपलद्ब्रधता सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक मंत्रालय ने पहले से ही जनवरी में एमएमटीसी द्वारा जारी निविदा के जरिये फरवरी और मार्च में 10.5 लाख टन यूरिया की अग्रिम खरीद की योजना बनाई है।
उधर, कांग्रेस ने देश के किसानों में यूरिया संकट के लिए पूरी तरह से राजग सरकार को जिक्वमेदार ठहराते हुए कहा कि किसानों में यूरिया के लिए हाहाकार मोदी सरकार की लापरवाही, कुप्रबंधन और अक्षक्वय कुशासन की कहानी बयां करता है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवञ्चता और विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में एक बयान जारी कर कहा कि रबी सीजन के पिछले पांच महीनों के दौरान यूरिया की जबर्दस्त कालाबाजारी हुई है, पुलिस बेकसूर किसानों पर लाठियां भांज रही हैं और हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात के पुलिस थानों में खाद वितरण संबंधी कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यूरिया संकट सिर्फ दो कारणों से हो रहा है। जून-अञ्चटूबर 2014 की महत्वपूर्ण अवधि में सरकार ने सिर्फ 17.37 लाख टन यूरिया आयात किया जबकि पिछले वर्ष 43.82 लाख टन यूरिया का आयात हुआ था। दूसरी वजह, केंद्र सरकार घरेलू यूरिया उत्पादकों को 30 हजार करोड़ रुपये की सद्ब्रिसडी देने में विफल रही।