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17 April 2020

उद्योगों को वित्तीय पैकेज में देरी से अनिश्चितता का संकट, अर्थशास्त्रियों ने जताई चिंता

आगामी 20 अप्रैल से संक्रमण की आशंका से मुक्त जिलों में आर्थिक गतिविधियों की अनुमति जा रही है लेकिन अभी तक सरकार ने उद्योगों के लिए किसी राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है। विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योगों खासकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) अनिश्चितता के दौर में फंसे हैं। उन्हें तत्काल राहत पैकेज नहीं दिया गया तो उनका संकट और गंभीर हो जाएगा और वे लंबे समय तक इस संकट से नहीं उबर पाएंगे।

लॉकडाउन से प्रभावित आम लोगों के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व ने कुछ राहत देने की पहल की है लेकिन अभी तक उद्योग जगत के लिए किसी राहत की घोषणा नहीं की गई है। आरबीआइ ने आज तरलता बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन उद्योगों पर जो मार पड़ रही है, उससे उबरने के लिए उन्हें वित्तीय पैकेज की दरकार है।

पैकेज मिलने से विश्वास पैदा होगा

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एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमस्ट अभीक बरुआ ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि उद्योगों के लिए पैकेज की सख्त आवश्यकता है। अभी तक सरकार को पैकेज की घोषणा कर देनी चाहिए ताकि उद्योग जगत में विश्वास पैदा हो सके। लेकिन जल्दी ही पैकेज की घोषणा हो सकती है। संभव है कि 20 अप्रैल को कुछ जिलों में चुनिंदा उद्योग चालू होने से पहले सरकार पैकेज की घोषणा करे। वैसे पैकेज के संकेत के स्तर से भी मिल रहे हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने पिछले दिनों संकेत दिए थे कि सरकार उद्योगों के लिए जल्दी ही पैकेज लाएगी।

आरबीआइ के कदम से तरलता सुधरेगी

आरबीआइ ने आज जो घोषणाएं की हैं, उनसे उद्योगों को कुछ हद राहत मिलेगी। मसलन, कर्ज लेने वालों को तीन महीने के मोरेटोरियम के बाद तीन और महीने की राहत मिल सकती है क्योंकि बैंकों पर इसे एनपीए मानने की बाध्यता होगी। इसके अलावा आरबीआइ ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के जरिये उद्योगों को ज्यादा लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के कदम उठाएं हैं।

लेकिन एमएसएमई को चाहिए वित्तीय पैकेज

लेकिन यह सच है कि उद्योगों को वित्तीय पैकेज की सबसे ज्यादा दरकार है। लॉकडाउन के कारण उत्पादन के अलावा सारी आर्थिक गतिविधियां रुकने के कारण उद्योग इकाइयों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन खराब हो रही है। उद्योग संगठन फिक्की ने एमएसएसई उद्योगों को ब्याज और सिक्योरिटी मुक्त कर्ज सुलभ कराने का सुझाव दिया है। फिक्की का कहना है कि फिक्स्ड कॉस्ट, वेतन और अन्य खर्चों के लिए इस तरह का कर्ज दिया जाए जिसके साथ कर्मचारियों की छंटनी और वेतन कटौती न करने की शर्त लगाई जाए और एक साल बाद शर्तें पूरी करने वाली इकाइयों के कर्ज को अनुदान में तब्दील कर दिया जाए। विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई की हिस्सेदारी 45 फीसदी और निर्यात में 40 फीसदी है। इसके अलावा यह क्षेत्र लोगों को रोजगार देने में भी अहम भूमिका निभाता है।

कई चरणों में पैकेज की उम्मीदः बरुआ

एचडीएफसी के चीफ इकोनॉमिस्ट भी कहते हैं कि उद्योगों को सिर्फ लिक्विडिटी बेहतर करने से मदद मिलने वाली नहीं है। हालात बहुत गंभीर हैं। सरकार को वित्तीय पैकेज देना ही होगा, तभी वे इस संकट से उबर पाएंगे। बरुआ के अनुसार हो सकता है कि सरकार एक बार में कोई बड़ा पैकेज देने के बजाय कई चरणों में उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार छोटे-छोटे पैकेज दे।

उन्होंने बताया कि अगर कोरोना का संक्रमण और तेजी से नहीं फैलता है और सरकार तीन मई तक लॉकडाउन को कुछ प्रतिबंधों के साथ खोलती है तो भी उद्योगों को सामान्य स्थिति में आने में कम से कम छह महीने लगेंगे। पर्यटन, ट्रैवल, ऑटोमोबाइल और अन्य लक्जरी टाइप क्षेत्रों में भी और ज्यादा लंबा समय लगेगा।

अगली बारी एमएसएमई उद्योगों कीः जोशी

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी. के. जोशी का कहना है कि सरकार ने प्राथमिकता के अनुसार पहले आम लोगों को मदद देने के लिए कदम उठाए। अब एमएसएमई सेक्टर के लिए उपाय होंगे और उसके बाद बड़े उद्योगों की बात आएगी। जोशी के अनुसार अगर सरकार चाहती है तो उद्योग खासकर एमएसएमई इकाइयां अपने कर्मचारियों न हटाएं तो उसे वित्तीय मदद देनी होगी। अभी तक पैकेज की घोषणा न होने के सवाल पर जोशी ने कहा कि हम अमेरिका की तरह विकसित अर्थव्यवस्था नहीं है। हमारे पास सीमित संसाधन है। इस वजह से सरकार छोटे-छोटे पैकेज आवश्यकता के अनुसार देगी। ऐसे पैकेज तैयार करने में समय लगता है, इसी वजह से अभी तक सरकार ने घोषणा की है। उम्मीद है कि जल्दी ही सरकार घोषणा करेगी।

फिक्की का सुझाव- जीएसटी वसूली टालें

फिक्की का कहना है कि एमएसएमई के सामने सबसे गंभीर समस्या है। वे आमतौर पर नकदी से ही कारोबार करते हैं। उनके पास नकदी खत्म हो चुकी है। फिक्की का सुझाव है कि सरकार को जीएसटी की वसूली अगले छह महीने के लिए स्थगित कर दी जानी चाहिए।

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TAGS: Economists, industry, stimulus package, lockdown
OUTLOOK 17 April, 2020
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