Advertisement
23 February 2016

परियोजनाओं में देरी कमजोर कर रही है मेक इन इंडिया की उम्मीदें'

गूगल

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत को दुनिया का प्रमुख निर्माण हब बनाने के लिए मेक इन इंडिया की परिकल्पना पेश की है लेकिन देश में आने वाले निवेश के परियोजनाओं के तौर पर अमल में आने की मौजूदा धीमी रफ्तार की वजह से इस परिकल्पना को लेकर जाहिर की गई उम्मीदें अपनी चमक खो रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में निवेश की घोषणाएं तो हो रही हैं लेकिन वे जमीन पर नहीं उतर रही हैं। इसके अलावा जो निवेश हो चुका है, उससे जुड़ी परियोजनाओं के मुकम्मल होने में हो रही देरी के कारण लागत में दिन-ब-दिन बढ़ोत्तरी से निवेशकों का विश्वास और इरादा दोनों ही कमजोर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को विलंबित परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा कराने के लिए एक पक्की रणनीति बनानी चाहिए।

 

रावत ने देश में निवेश परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति को दर्शाती एसोचैम की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि राजस्थान (68.4 फीसद), हरियाणा (67.5 फीसद), बिहार (62.8 फीसद),  असम (62.4 फीसद) और उत्तर प्रदेश (61.7 प्रतिशत) में सबसे ज्यादा निवेश परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। उन्होंने कहा कि सितंबर 2015 तक देश में करीब 14 लाख 70 हजार करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की गई थी लेकिन उसमें से सिर्फ 11 . 2 प्रतिशत निवेश ही प्राप्त हो सका है। रावत ने कहा कि मेक इन इंडिया की परिकल्पना पेश करते वक्त यह इरादा जाहिर किया गया था कि इसके जरिये आने वाले वर्षों में 10 करोड़ युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। इसके लिए इस परिकल्पना को जमीन पर उतारने के मकसद से बुनियादी स्तर पर काम करने की जरूरत है।

Advertisement

 

उन्होंने बताया कि देश में क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों से गुजर रही 1160 निर्माण परियोजनाओं में से 422 की या तो लागत बढ़ चुकी है, या फिर उनके पूर्ण होने का अनुमानित समय बीत चुका है, अथवा वे इन दोनों ही दिक्कतों का शिकार हैं। ऐसी परियोजनाओं का आकार 8 . 76 लाख करोड़ है। इनमें से 79 परियोजनाएं तो निर्धारित अवधि से 50 या उससे ज्यादा महीनों के विलम्ब से चल रही हैं। रावत ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रियल एस्टेट से जुड़ी हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाएं अधर में लटकी हैं। इन्हें जल्द पूरा करने के लिए राज्य के साथ-साथ केन्द्र से भी सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देर की वजह से अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि हर निवेश से आर्थिक विकास में योगदान मिलता है। एसोचैम महासचिव ने कहा कि मेक इन इंडिया को एक वास्तविकता बनाने के लिए सरकार को रुकी हुई परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए प्राधिकारी के साथ-साथ निवेशक स्तर तक लक्ष्यबद्ध कार्ययोजना तैयार करनी होगी।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: भारत, प्रमुख उद्योग मंडल, एसोचैम, देश, निवेश परियोजना, मेक इन इंडिया, धीमी रफ्तार, राष्ट्रीय महासचिव डी.एस. रावत, केंद्र सरकार, प्रमुख निर्माण हब, अर्थव्यवस्था, आर्थिक विकास
OUTLOOK 23 February, 2016
Advertisement