छूट के बाद भी महंगा है कार्ड से पेट्रोल-डीजल खरीदना
यानी एक हजार रुपये की खरीद पर 7.50 रुपये की छूट। छूट का पैसा तीन दिन के भीतर उसी खाते में आ जायेगा जिससे भुगतान किया गया है। नकदी की तंगी के कारण पिछले एक महीने में पेट्रोल पंपों पर डिजिटल भुगतान 20 प्रतिशत से बढ़कर 40 फीसदी तक हो गया है।
पेट्रोल पंपों पर रोजाना 4.5 करोड़ लोग लगभग 1800 करोड़ रुपये का पेट्रोल-डीजल खरीदते हैं। सरकार का आकलन है कि 0.75 फीसदी की छूट से ज्यादा लोग डिजिटल भुगतान के लिए उत्साहित होंगे। कितने नए लोग डिजिटल भुगतान से जुड़ेंगे यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन यह भी एक तथ्य है कि अब भी पेट्रोल-डीजल नकद भुगतान के जरिए खरीदना ज्यादा सस्ता और आसान पड़ रहा है।
जानकारों के मुताबिक क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान पर उपभोक्ता को जो शुल्क देना पड़ता है, वह दो से तीन फीसदी तक बैठता है। उदाहरण के लिए अगर किसी ने अपनी गाड़ी में क्रेडिट कार्ड से 1500 रुपये का पेट्रोल भरवाया तो उसे लगभग 1542 रुपये का भुगतान करना होगा। हां, यदि उसके पास ऐसे बैंक का क्रेडिट कार्ड है जिसका उस पेट्रोल कंपनी से करार है तो उसे करीब साढ़े पांच रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ेंगे।
हां, यह सही है कि डेबिट कार्ड के जरिये बिल भुगतान पर शुल्क क्रेडिट कार्ड के मुकाबले कम है, पर शुल्क चुकाना जरूर पड़ता है। फिर सरकार ने जो छूट के ऐलान किए हैं वो सीमित समय के लिए हैं।
सिर्फ पेट्रोल-डीजल या खरीदारी पर ही नहीं तमाम सेवाओं के इस्तेमाल के लिए शुल्क चुकाना पड़ता है। काउंटर से रेलवे की टिकट खरीदना ऑनलाइन टिकट खरीदने से ज्यादा सस्ता पड़ता है। इसी तरह बीमा प्रीमियम से लेकर बच्चों की फीस ऑनलाइन जमा करना चेक या नकद भुगतान के मुकाबले महंगा है। किसी के खाते में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने का भी शुल्क लगता है।
जानकारों का मानना है कि कैशलेस इकॉनॉमी के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए शुल्क कम करने होंगे। अलग-अलग क्षेत्रों से यह मांग भी आई है कि डेबिट कार्ड पर शुल्क हमेशा के लिए खत्म कर दिए जाएं। यहां ध्यान रखने की जरूरत है कि कई बैंक डेबिट कार्ड की सुविधा देने के लिए भी सालाना शुल्क वसूल करते हैं और कई बार ग्राहकों को इसकी जानकारी भी नहीं होती।