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19 May 2015

सोने पर सुहागा, गोल्ड स्कीम का ब्याज होगा करमुक्त

पीटीआई

योजना के मसौद के मुताबिक, बैंकों में जमा करने के लिए सोने की न्यूनतम मात्रा 30 ग्राम रखने का प्रस्ताव है और इसके एवज में दी जाने वाली ब्याज राशि पर आयकर और पूंजी लाभ कर नहीं लगाया जाएगा। व्यक्ति या संस्‍था के सोने का मूल्यांकन बीआईएस प्रमाणित हॉलमार्क केंद्रों द्वारा किया जाएगा। स्वर्ण बचत खाते के तहत लोगों को कम से कम एक साल तक बैंक में सोना रखना होगा तभी उन्हें या तो नकद या सोने की मात्रा के रूप में भुगतान मिल पाएगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष का बजट पेश करते हुए देश के चुनिंदा शहरों में स्वर्ण खाता योजना शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था, ‘नई योजना के तहत सोने और आभूषण जमा करने वालों को इस कीमती धातु की मात्रा के मुताबिक ब्याज राशि दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें इस खाते से कर्ज भी मिल सकता है। बैंक या अन्य डीलर भी अपने सोने से कमाई कर सकते हैं।’

भारत सोने की खपत करने वाला विश्व का सबसे बड़ा देश है और यहां प्रतिवर्ष 800 से 1000 टन सोने का आयात होता है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 20 हजार टन से अधिक सोना निष्क्रिय पड़ा है जिससे न तो कारोबार किया जाता है और न ही इससे कोई कमाई होती है। प्रस्तावित योजना के तहत ग्राहकों को स्वर्ण बचत खाता खोलने के 30 से 60 दिन के अंदर ब्याज भुगतान कर दिया जाएगा। ब्याज दर तय करने का फैसला बैंकों पर निर्भर होगा लेकिन सभी बैंक जमाकर्ताओं को मूलधन और ब्याज का भुगतान सोना या नकद राशि में ही करेंगे।

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मसलन यदि कोई ग्राहक बैंक में 100 ग्राम सोना जमा करता है तो परिपक्वता के बाद उसके खाते में 101 ग्राम सोना हो जाएगा। जहां तक भुगतान लेने का सवाल है तो इस दिशा-निर्देश में साफ कहा गया है कि ग्राहकों को नकद या सोने के रूप में अपनी जमा पूंजी वापस लेने का अधिकार होगा और वह इसका जिक्र सोना जमा कराते वक्त ही कर सकता है। सोना जमा करने की न्यूनतम अवधि एक वर्ष और सावधि जमा अवधि इसके गुणक में ही रहेगी लेकिन एक वर्ष के बाद जमाकर्ता कभी भी अपना सोना या बदले में धन वापस ले सकता है।

 

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TAGS: Gold monetisation scheme, Gold savings account, interest, tax exemption
OUTLOOK 19 May, 2015
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