डिफेंस में निजी क्षेत्र की एंट्री, प्राइवेट कंपनियां बनाएंगी लड़ाकू विमान, पनडुब्बी
लंबे समय तक देश में रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की एंट्री पर रोक रही है, लेकिन मोदी सरकार इस नीति में बदलाव ला रही है। शनिवार को रक्षा मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 'रणनीतिक भागदीरी' की नीति को हरी झंडी दी है। इस नीति के तहत विदेशी भागीदारी की मदद से प्राइवेट कंपनियां लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और बख्तबंद गाड़ियां बना सकेंगी।
सरकार का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य प्रमुख भारतीय कम्पनियों खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम क्षेत्र को शामिल करते हुए देश में डिफेंस से जुड़े मैन्युफैक्चरिंग उद्योग को बढ़ावा देना है। इससे रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' नीति को प्रोत्साहन मिलेगा। शुरुआत में विदेेेेशी भागीदारी की मदद से प्राइवेेेट कंपनियों को सिर्फ लड़ाकू विमान, पनडुब्बियों और बख्तरबंद वाहनों के निर्माण की अनुमति दी जाएगी। बाद में इसमें डिफेस से जुड़े बाकी क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगी।
रक्षा खरीद में घटेगी विदेश पर निर्भरता
रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारी की नीति के तहत घरेलू कंपनियों को डिफेंस संबंधी तकनीक के लिए विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की छूट मिलेेेेगी। इस नीति मोदी सरकार के बहुप्रतीक्षित कदम के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार रक्षा उपकरणों के मामले में विदेशी खरीद पर निर्भरता घटने और देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देनेे पर जोर दे रही है।
- एजेंस इनपुट