अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने के संकेत
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, प्रकिया से जुड़े कुछ मुद्दे हैं जिनका समाधान किया जा रहा है। प्रमुख मुद्दों पर सभी राज्यों में सहमति है। हम जीएसटी को एक अप्रैल 2016 से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अमल में लाना एक क्रांतिकारी कदम है और इसमें सरकार की समूची वित्तीय संरचना में बदलाव लाने की क्षमता है।
सिन्हा ने कहा कि जीएसटी से राज्यों, स्थानीय सरकारों और केंद्र की कर लगाने की शक्ति में बदलाव होगा। इसमें राज्यों को हिस्सा मिलेगा। इससे भारत सरकार की वित्तीय संरचना बदलेगी। भारत ने 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था को निजी क्षेत्र के लिए खोला था। 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय कराें में राज्यों को अधिक हिस्सा देने की सिफारिश की है। आयोग ने राज्याें की हिस्सेदारी 32 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। सिन्हा ने यह भी कहा कि भारत का कर आधार काफी छोटा है जिसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्हाेंने कहा, भारत का कर दायरा सीमित है। यह ओईसीडी के 30 प्रतिशत के औसत से भी कम है। उन्हाेंने कहा कि सीमित कर आधार की वजह से भारत उचित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली नहीं स्थापित कर पाया है।
पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के बारे में राजस्व सचिव ने कहा कि डीटीसी के 5-6 प्रावधानों को छोड़कर सभी प्रावधान पहले ही आयकर कानून का हिस्सा हैं। जो चीजें छोड़ी गई थीं उन पर इस बजट में ध्यान दिया गया है। चूंकि जीएसटी का कार्यान्वयन अगले वित्त वर्ष से किया जाएगा, तो एक साथ दो मोर्चे खोलना समझदारी नहीं होगी। एक तरफ डीटीसी और दूसरी तरफ जीएसटी.. पूरी तरह से अपने कर कानूनों को अव्यवस्थित करना तथा करदाताओं के लिए मुश्किलें खड़ी करना। उनके अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में संकेत दिया कि डीटीसी को आगे बढाने की कोई वरीयता नहीं है। वहीं राजस्व सचिव ने विश्वास जताया कि सरकार 201-16 में 14.49 लाख करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को हासिल कर लेगी।