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08 December 2016

हाल-ए-नोटबंदी : विश्‍व बाजार में रुपये की विश्‍वसनीयता गिरी

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नोटबंदी का असर चौतरफा है। हालात ये है कि पिछले 22 दिनोंं से पूंजीगत बाजार में विदेशी निवेशक अपना माल बेचने में जुटे हैं। ऐसे में नकदी प्रवाह कम होने से विदेशी मुद्रा का भंडार देश में कम हो सकता है। यह जानकारी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व चेयरमैन सुधीर कुमार अग्रवाल ने दी। 

अग्रवाल के अनुसार नोटबंदी का फैसला सरकार का सही कदम था, लेकिन यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। इसके लिए हमारे देश का बैकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तैयार नहीं था। इस कारण नकदी की समस्या से आम आदमी से लेकर व्यापारी व उद्यमी परेशान हैं। आज बैंक सरकार की ओर से बचत खाते में 24 हजार और चालू खाते में 50 हजार रुपये निर्धारित करने के बावजूद उपलब्ध करा पाने में असमर्थ है। इससे बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा है। सारा काम काज ठप हो गया है।

इसका असर आने वाली दो तिमाही में दिखाई देगा। देश में जो जीडीपी 7.6 फीसद थी, इसमें तकरीबन दो से तीन फीसद तक की गिरावट देखी जा सकती है। नोटबंदी के 30 दिनों में सरकारी आंकड़े खुद वास्‍तविक स्थिति को सार्वजनिक कर रहे हैं।

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गौर हो‍ कि बैंकों में 12 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं, लेकिन करीब चार लाख करोड़ रुपये के नोट ही नयेे प्रिंट होकर बांटेे जा सके हैंं। प्रधानमंत्री देश में कैशलेस सोसायटी बनाने की बात कह रहे हैं, लेकिन देश के बैंक ही नहीं, बल्कि बिजली और इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर तक इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं।

आर्थिक जानकार ने कहा कि आज देश की करीब 70 फीसद आबादी ग्रामीण है। मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों को पूरे देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है। नोटबंदी का फैसला भविष्‍य में बेहतर परिणाम लेकर आए, लेकिन अभी इससे नुकसान हो रहा है।  बाजार और औद्योगिक इकाइयां जिस तरह प्रभावित हुई हैं, उसकी पूर्ति में कम से कम तीन वर्ष लगेंगे।

 

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TAGS: नोटबंदी, रुपया, साख, विश्‍व बाजार, कारोबार, बाजार, note ban, rupees, indian money, trading, market, value
OUTLOOK 08 December, 2016
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