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30 November 2016

लोन न चुकाने वाले कर्जदारों से निपटने का नया कानून गुरुवार से प्रभावी

ऋण-शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता के तहत शोधन अक्षमता पर पेशेवर सलाह देने वाली एजेंसियां का पंजीकरण शुरू हो चुका है। संसद के कानून के तहत गठित दो राष्ट्रीय संस्थानों भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) और भारतीय चार्डर्ड एकाउंटेंट संस्थान (आईसीएआई) ने इस संहिता के तहत शोधन-अक्षमता के क्षेत्रा में पेशेवर एजेंसी के रूप में काम करने के लिए लाभ-विमुख कंपनियों का पंजीकरण कराया है।

यह व्यापक संहिता रिण-शोधन करने में असमर्थ इकाइयों, व्यक्तियों, भागीदारी फर्म और कंपनियों संबंधित विवादों के समाधान और पुनर्गठन की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए पुराने कानूनों की जगह बनायी गयी है। इस संहिता के तहत भारतीय ऋण-शोधन अक्षमता एवं दिवाला परिषद (आईबीबीआई) का गठन किया जा चुका है।

आईसीएसआई की अध्यक्ष ममता बिनानी ने यहां संवाददाताओं से कहा, पूरी संहिता कल से काम करना शुरू कर देगी। उन्होंने कहा कि दिवाला संहिता से मामलों का निपटान और उनमें फंसी सम्पत्तियों को मुक्त करने का काम शीघ्रता से संपन्न होगा। औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्गठन (बाइफर) अब अनुपयोगी हो चला है। नयी व्यवस्था में कंपनियों के मामलों को राष्ट्रीय कंपनी-विधि न्यायाधिकरण और प्रोपराइटरी तथा भागीदारी फर्मों के दिवालापन के मामलों को रिण वसूली न्याधिकरण देखेगा।

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ऋण शोधन-अक्षमता के क्षेत्र में पेशेवर एजेंसी के रूप में काम करने वाली एजेंसी को कंपनी कानून की धारा 8 के तहत पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए उसकी अपनी न्यूनतम शुद्ध पूंजी 10 करोड़ और चुकता पूंजी 5 करोड़ रुपए होनी चाहिए। बिनानी ने कहा कि ऐसी कंपनियों के निदेशक मंडल में चेयरमैन सहित आधे से अधिक स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नयी व्यवस्था से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हेंने यह विश्वास भी जताया कि एक साल के अंदर इसके फल मिलने लगेंगे। वकील, चार्टर्ड एकाउंटेट, कास्ट एकाउंटेट और कंपनी सचिव भी इस क्षेत्र में पेशेवर के रूप में काम कर सकते हैं पर इसके लिए उन्हें कम से कम 15 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

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TAGS: insolvency professional, Insolvency and Bankruptcy Code
OUTLOOK 30 November, 2016
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