जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों पर उठाया सवाल
निजी क्षेत्र में निवेश अभी भी गति नहीं पकड़ पाया है। ऐसे परिवेश के बीच वित्त मंत्री ने यह विचार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति इस मामले में काफी विचित्र है क्योंकि यहां घरेलू बचत दर भी काफी ऊंची है। जेटली ने सवाल उठाते हुये कहा, क्या हमें घरेलू बचत का प्रयोग केवल ऊंची ब्याज आय वाले साधनों में ही करना चाहिए और ऐसी ब्याज व्यवस्था बनानी चाहिए जो कि बहुत महंगी हो और अर्थव्यवस्था को धीमी बनाती हो या फिर हमें ऊंची ब्याज दरें ऐसे कोषों, बांड और शेयरों के माध्यम से मिलनी चाहिए जो कि आर्थिक गतिविधियों और परियोजनाओं का वित्तपोषण करते हैं। उन्होंने यह बात यहां बीएसई के 140 वर्ष पूरे होने की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के दौरान कही। जेटली ने कहा कि सारी आर्थिक गतिविधियों का सार निवेश में है और यह वहां से आता है जहां संसाधन उपलब्ध होते हैं।
उन्होंने कहा, इनमें से कई सारे माध्यम सुरक्षित निवेश भी हैं जो लोगों को बहुत अच्छा मुनाफा देते हैं। यही वह आधार है जिस पर दुनियाभर के पेंशन कोष काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इन माध्यमों से हम अगले कुछ सालों और दशकों में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक से अधिक अवसर हमारे पास आएंगे। वित्त मंत्री अरूण जेटली के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा और लंबे समय के निवेश की जरूरत है ताकि दशकों से व्याप्त बुनियादी ढांचे और औद्योगिकीकरण के घाटे की खाई को पाटा जा सके। उन्होंने कहा, और सभी तरह की गतिविधियों का शुरूआती बिंदु निवेश होना चाहिये। यह संसाधनों को जुटाकर होना चाहिये, यह निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों से और कभी-कभी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये होना चाहिये जो यह सुनिश्चत करे कि घाटे की भरपाई हो सके। जेटली ने कहा कि इस संबंध में बीएसई एक महत्वपूर्ण संस्थान है। पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में गतिविधियां बढ़ी हैं। यह वृद्धि आवश्यक रूप से सार्वजनिक निवेश और एफडीआई बढ़ने से आई है। विकास की इस प्रक्रिया में निजी क्षेत्र का उल्लेखनीय निवेश अभी दिखना बाकी है। निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ने के पीछे मांग की कमी के बारे में उन्होंने उम्मीद जताई कि शहरी मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा, इस साल इंद्र देवता कृपालू दिखाई दे रहे हैं, इसलिये ग्रामीण आबादी में भी मांग बढ़ने के संकेत हैं और इन सब बातों से अंतत: निजी क्षेत्र के लिये ही अवसर बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि इन सबसे बीएसई जैसे संस्थानों में गतिविधियां बढ़ेंगी। बंबई शेयर बाजार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई और एनएसई) जैसे संस्थानों से बेहतर आना अभी बाकी है।
एजेंसी