आरबीआई ने नहीं घटाई ब्याज दरें, बैंकों पर बनाया दबाव
मुंबई। रिजर्व बैंक ने ऊंची महंगाई दर का हवाला देते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। साथ ही आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बनाया है। राजन के मुताबिक, इस वर्ष नीतिगत दरों में की गई कटौतियों का पूरा फायदा ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया है। बैंकों ने इस वर्ष अब तक ग्राहकों के लिए ब्याज दर में औसतन 0.30 फीसदी की कटौती की है जबकि आरबीआई नीतिगत दर में कुल मिलाकर 0.75 फीसदी की कमी कर चुका है। आरबीआई वर्ष 2015 में रेपो दर में अब तक तीन बार 0.25-0.25 फीसदी तक कटौती कर चुका है। रेपो दर वह दर है जिस पर वह बैंकों को फौरी जरूरत के लिए उधार देता है।
राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति में नरमी का रुख बरकरार रखते हुए नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखना ही उचित है। आरबीआई यह देख रहा है कि बैंक पहले दी गई ढील का फायदा और अधिक फायदा ग्राहकों तक कब पहुंचाते हैं। गवर्नर ने कहा कि नीतिगत दरों में और नरमी की गुंजाइश के लिए केंद्रीय बैंक उभरते अवसरों पर ध्यान रखेगा।
फिलहाल आरबीआई की रेपो दर 7.25 फीसदी पर बकरार है। इसी तरह रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रखी जाने वाली बैंकों की नकदी या सीआरआर चार फीसदी पर बना रहेगा। आरबीआई गवर्नर ने यह बात फिर दोहराई है कि उन्होंने आरबीआई ने इस साल उदारता का जो रुख अपनाया है, वह कटौती का फायदा ग्राहकों को दिए जाने, खाद्य कीमत तथा मानसून, आपूर्ति की दिशा में सरकार की पहलों और अमेरिका में हालात सामान्य होने के संकेतों पर आधारित था। गौरतलब है कि राजन ने ब्याज दर न घटाने को लेकर अप्रैल और जून में भी बैंकों को फटकार लगाई थी।
राजन ने उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही से कर्ज की मांग बढ़ेगी और तब बैंकों को नए ग्राहक पकड़ने के लिए ब्याज दर घटाने और कटौती का उन्हें अधिक फायदा देने में अपना अधिक फायदा नजर आएगा।
महंगाई और निर्यात पर चिंता
मुद्रास्फीति के संबंध में रघुराम राजन ने भरोसा जताया कि 2016 तक मुद्रास्फीति छह फीसदी के आसपास ही रहेगी। हालांकि गैर-खाद्य एवं ईंधन मुद्रास्फीति का बढ़ना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि सेवा-कर की बढ़ी हुई दर का असर भी महंगाई पर दिखेगा। आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के बारे में राजन ने कहा कि परिदृश्य धीरे-धीरे सुधर रहा है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष में 7.6 फीसदी की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखा। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि निर्यात में कमी का असर आर्थिक वृद्धि पर लंबे समय तक असर छोड़ेगा।