डेबिट कार्ड से भुगतान पर कोई लेन-देन शुल्क नहीं : सरकार
यह निर्णय 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के बाद की स्थिति की समीक्षा के बाद किया गया है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है। दास ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, कुछ निजी बैंक एवं कुछ सेवाप्रदाताओं (स्विचिंग सेवा देने वालों) ने 31 दिसंबर तक डेबिट कार्ड के उपयोग पर सेवा शुल्क नहीं लेने पर सहमति जतायी है।
वर्तमान में रूपे डेबिट कार्ड ने पहले ही स्विचिंग शुल्क से छूट दी हुई है। अन्य डेबिट कार्ड कंपनियां जो अंतरराष्ट्रीय कार्ड नेटवर्क का संचालन करती हैं जैसे कि मास्टरकार्ड और वीजा मौजूदा समय में लेन-देन शुल्क लेती हैं।
अभी इस लेन-देन शुल्क का भार ग्राहक को उठाना पड़ता है। सरकार को किए जाने वाले भुगतान पर इसे आम भाषा में व्यापारिक छूट दर (एमडीआर) के नाम से जाना जाता है।
दास ने कहा, डेबिट कार्डों पर लगने वाले एमडीआर शुल्क, बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क और स्विचिंग शुल्क सभी को समाप्त कर दिया गया है। इस प्रकार डेबिट कार्डों के उपयोग पर अब कोई शुल्क नहीं होगा। आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा, मैं इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों का धन्यवाद करना चाहूंगा जो इस पर पहले ही सहमत हो चुके हैं। अन्य के इस पर सहमत होने की उम्मीद है और वे अपने परिपत्र स्वयं जारी करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय के पीछे हमारी अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल लेन-देन को सुनिश्चित करना है साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि अधिक संख्या में लोग डिजिटल भुगतान का रूख करें।
रिजर्व बैंक ने 2012 में डेबिट कार्डों के लिए एमडीआर की सीमा तय कर दी थी। यह सीमा दो हजार रुपये तक की राशि के लेन-देन पर मूल्य का 0.75 प्रतिशत और उससे अधिक के लेनदेन पर एक प्रतिशत थी। हालांकि, क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर रिजर्व बैंक ने एमडीआर की कोई सीमा तय नहीं की है।
देश में नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए और कार्ड से लेनदेन का बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए रिजर्व बैंक ने मार्च में एक परिपत्र जारी कर लोगों से राय मांगी थी। अक्तूबर 2015 तक देश में 61.5 करोड़ डेबिट कार्ड धारक और 2.3 करोड़ क्रेडिट कार्ड धारक थे।
भाषा