‘नोटबंदी से सिर्फ 72,800 करोड़ का लाभ मिलने का अनुमान’
नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री और विश्लेषक इस कदम के शुरुआती दिनों में दावा कर रहे थे कि चलन से बाहर किए गए 15.55 लाख करोड़ रुपये से कम से कम 20 प्रतिशत प्रणाली में वापस नहीं लौटेंगे। इससे रिजर्व बैंक को इस राशि को अपने बही खाते से हटाने में मदद मिलेगी। ऐसे में होने वाले लाभ को रिजर्व बैंक अधिशेष के रूप में सरकार को स्थानांतरित कर सकेगा।
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि 8 नवंबर को 15.55 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1,000 के नोट बंद किए गए। वहीं पीटीआई द्वारा सूचना के अधिकार के तहत :आरटीआई: मांगी गई जानकारी में रिजर्व बैंक ने कहा है कि बंद किए गए नोट 20.51 लाख करोड़ रुपये के हैं।
हालांकि घरेलू ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह शुरुआती अनुमानों की तुलना में काफी कम, 40,000 करोड़ रुपये ही होगा। इसका मतलब है कि रद्द की गई मुद्रा का 3.5 प्रतिशत प्रणाली में वापस नहीं लौटेगा या कालाधन होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर के बाद जमा किए गए नोटों का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन चलन में मौजूद मुद्रा तथा 19 दिसंबर तक आपूर्ति किए गए नोटों के आधिकारिक आंकड़ों की गणना से पता चलता है कि 15 लाख करोड़ रुपये प्रणाली में वापस लौट आए हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक अधिकतम 40,000 करोड़ रुपये सरकार को स्थानांतरित कर सकता है। इसे अगले वित्त वर्ष की सरकार की गैर कर प्राप्तियों में शामिल किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि 32,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर तथा 40,000 करोड़ रुपये का गैर कर राजस्व सरकार को अगले साल मिलेगा। इस तरह सरकार को 72,800 करोड़ रुपये मिलेंगे।
हालांकि, ब्रोकिंग कंपनी का यह आकलन 19 दिसंबर तक प्रणाली में वापस लौटी करेंसी के आधार पर है। अभी तक न तो रिजर्व बैंक और न ही सरकार ने यह बताया है कि प्रणाली में कितना पैसा लौटा है।
ब्रोकरेज के अनुमान के अनुसार आयकर विभाग सिर्फ 28,500 करोड़ रुपये के कालेधन का ही पता लगा सकता हैं यह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत घोषित की जाने वाली आय का करीब 50 प्रतिशत बैठता है। इससे कर प्राप्तियां 24,200 करोड़ रुपये रहेंगी।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत स्वैच्छिक घोषणा और बिना स्वैच्छिक घोषणा से व्यक्तिगत कर आधार में 57,000 ऐसे लोग जुड़ेंगे जिनकी सालाना आय एक करोड़ रुपये से अधिक है। इससे व्यक्तिगत करों के रूप में 8,600 करोड़ रुपये और जुटाए जा सकते हैं।
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि कुल मिलाकर नोटबंदी से सरकार को 2017-18 में 32,800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर मिल सकता है। भाषा