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26 March 2017

31 मार्च तक नोट बदलने की अनुमति नहीं देने पर रिजर्व बैंक ने नहीं दिया जवाब

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केंद्रीय बैंक ने इस विषय पर सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गये सवाल का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि पारदर्शिता कानून के तहत सवाल सूचना की परिभाषा में नहीं आता।

प्रधानमंत्री ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए देशवासियों को आश्वस्त किया था कि वे 1,000 और 500 रुपये के नोट 31 मार्च तक बदल सकते हैं।

बाद में यह फैसला किया गया है कि केवल प्रवासी भारतीयों के नोट 31 मार्च तक बदले जाएंगे।

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नोट जमा करने की समयसीमा के बारे में उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है।

अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने नोट बदलने की सुविधा 31 मार्च तक केवल प्रवासी भारतीय तक सीमित करने के फैसले से संबंधित फाइल नोटिंग के बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया। उसने कहा कि यह देश के आर्थिक हित के खिलाफ होगा।

आवेदन में 31 मार्च तक भारतीयों के लिये पुराने नोट बदलने की अनुमति नहीं देने के कारण के बारे में जानकारी मांगी गयी थी। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि लोगों को 31 मार्च तक पुराना नोट बैंकों में जमा करने की अनुमति होगी।

केंद्रीय जन सूचना अधिकारी सुमन रे ने कहा कि जो सूचना मांगी गयी है, वह आरटीआई कानून की धारा 2 :एफ: के तहत नहीं आता।

पूर्व सूचना अधिकारी शैलेष गांधी ने कहा कि आरटीआई कानून की धारा 8 :2: के तहत अगर जानकारी व्यापक रूप से जनहित में है तो उसके खुलासे से छूट होने पर भी उसे सार्वजनिक करने की अनुमति है। भाषा

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TAGS: नोटबंदी, आरबीआई, आरटीआई, पीएम मोदी, pm modi, rbi, rti, note ban
OUTLOOK 26 March, 2017
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