अब आ गया एम-गवर्नेंस का जमाना
इन सबसे भी बड़ी बात कि लगभग 75 प्रतिशत नए मोबाइल उपभोक्ता और आधे से ज्यादा भारतीय इंटरनेट उपभोक्ता सिर्फ मोबाइल से ही इंटरनेट सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इन सारी अनुकूल परिस्थितियों को भांपते हुए अब कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अलावा कई राज्यों में सारी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियां सरकारी सेवाएं मुहैया कराने के लिए मोबाइल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने लगी हैं। मोबाइल प्रौद्योगिकी ने ई-कॉमर्स और मोबाइल गवर्नेंस यानी एम-गवर्नेंस की राह भी आसान कर दी है। इस नई तकनीक का इस्तेमाल एम-पासपोर्ट सेवा, कई तरह के बिल भुगतान और रिचार्ज के अलावा सरकारी कामकाज के लिए भी किया जाने लगा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि अब हमें एम-गवर्नेंस को महत्व देना होगा। किसी भी सरकार का सुशासन सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए दासरा नामक मानवसेवी संस्था ने एक सर्वेक्षण कर जवाबदेही, राजनीतिक स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता, विनियामक गुणवत्ता, कानून और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के नियम जैसे छह आयामों का जिक्र किया है। 'मोबाइल फॉर गवर्नेंस इन इंडिया’ की रिपोर्ट बताती है कि देश के 63 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं तक सुशासन पहुंचाने के लिए मोबाइल तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है। वोडाफोन इंडिया के अधिकारी पी. बालाजी बताते हैं, 'सुशासन और सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में मोबाइल प्रौद्योगिकी ने एक परिवर्तनकारी प्रोत्साहक की भूमिका निभाई है। भारत आर्थिक उतार-चढ़ाव, कमजोर अधोसंरचना, शिक्षा और स्वास्थ्य की खराब व्यवस्था से जूझ रहा है। इसके अलावा सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और ढुलमुल रवैये से त्रस्त जनता को निजात दिलाने में एम-गवर्नेंस की अहम भूमिका रहेगी। कर्नाटक सरकार ने तो प्रदेश के नागरिकों को 4,000 से अधिक सरकारी एवं निजी सेवाएं मोबाइल पर मुहैया कराने के लिए 'कर्नाटक मोबाइलवन’ मुहिम शुरू की है। मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से पीडि़त जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए एम-गवर्नेंस की शुरुआत की है। महाराष्ट्र सरकार ने ठाणे में एसएमएस सेवा की शुरुआत करते हुए लोगों को घर बैठे वरिष्ठ नागरिक प्रमाण-पत्र, राष्ट्रीय पहचान पत्र, आवास प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र जैसी सरकारी सुविधाएं मुहैया करा रही है।
बालाजी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि मोबाइल आधारित एप्लीकेशन के जरिये या एसएमएस से आप मौसम या कृषि संबंधी जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। आजकल तो कई देशों में बच्चों को शिक्षित करने और सरकार द्वारा संचालित योजनाओं पर निगरानी रखने के लिए भी एम-गवर्नेंस का इस्तेमाल किया जाने लगा है। भारत में कुछ शिक्षण संस्थानों ने बच्चों को ट्यूशन जैसी सुविधा देने के लिए मामूली खर्च पर ऐसी योजनाएं शुरू भी कर दी हैं।
दासरा की रिपोर्ट में 11 ऐसे भरोसेमंद गैर-सरकारी संस्थाओं और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं का जिक्र किया गया है जो एम-गवर्नेंस के अलग-अलग तरीकों से फायदे लोगों तक पहुंचा रही हैं। इसके अलावा देश में 95 प्रतिशत नकद हस्तांतरण के चलन को देखते हुए पेवर्ल्ड ने एक स्थान से दूसरे स्थान तक पलक झपकते ही नकद राशि पहुंचाने की सेवा शुरू करने की योजना बनाई है। कंपनी ने भारतीय रिजर्व में लाइसेंस के लिए आवेदन भी कर दिया है। कंपनी की डिजिटल वॉलेट सेवा मोबाइल और 1500 वेबसाइटों पर कई भाषाओं में शुरू की है। पेवर्ल्ड के मुख्य परिचालन अधिकारी प्रवीण धभाई ने बताया कि देशभर में पेवर्ल्ड के 60 हजार से अधिक रिटेल केंद्रों पर नकद भुगतान कर आप कहीं भी अपना पैसा पहुंचा सकते हैं। अगले तीन वर्षों में हम 100 करोड़ के निवेश से तीन लाख से अधिक आउटलेट खोलने की योजना बना रहे हैं। धभाई बताते हैं, 'हम तकनीकी से अनजान ग्राहकों के लिए फिलहाल 18 राज्यों में मोबाइल फोन, डीटीएच रिचार्ज, रेलवे आरक्षण, उपयोगिता बिलों के भुगतान और किसी भी बैंक खाते में पैसे पहुंचाने की सुविधा भी दे रहे हैं।’ इसी तरह वोडाफोन ने 'एम-पैसा ऐप’ पेश कर ग्राहकों के लिए देश में कहीं से, किसी वक्त बिलों के भुगतान और मोबाइल रिचार्ज को आसान बना दिया है। यह ऐप मोबाइल के एंड्रायड, आईफोन, बीबी और विंडोज जैसे सभी प्लेटफॉर्मों पर नि:शुल्क उपलब्ध है।
दासरा की रिपोर्ट में एम-गवर्नेंस के कई और फायदे भी गिनाए गए हैं। इससे न्यूनतम प्रयासों से ही नागरिकों और सरकार के बीच खुला एवं नियमित संपर्क बना रहता है। सरकारी विभाग एंबुलेंस, अग्निशमन तथा आपात एवं पुलिस सेवाओं से जुड़े अधिकारियों की कार्यकुशलता बढ़ाने में सक्षम हो पाते हैं। लोग सामान्य पूछताछ, सेवा अनुरोध, आपात सहायता, व्यवधान या भ्रष्टाचार की शिकायतों, अपराध, गुमशुदगी और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए सरकार से सीधे संपर्क कर सकते हैं। देश में फिलहाल चुनाव की निगरानी और सुधार, परियोजनाओं के कार्यान्वयन, यातायात प्रवाह के अनुकूलन, अपराध तथा भ्रष्टाचार रोकने, नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने, बिलों के भुगतान, मीडिया को लोकतांत्रिक बनाने और सरकार के साथ जनता का संपर्क बढ़ाने के लिए एम-गवर्नेंस का इस्तेमाल किया जाता है। अब इसे बड़े पैमाने पर विस्तार देते हुए जनसंख्या की सामाजिक जटिलताओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।