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06 August 2016

आरबीआई के पुराने मुखिया ने माना, डूबते कर्जों पर नहीं दिया था ध्यान

गूगल

सुब्बाराव ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसा कर्ज) इतनी बड़ी समस्या हो जाएगी। पीछे मुड़कर देखूं तो मेरा मानना है कि मुझे एनपीए की समस्या का समाधान करना चाहिए था। यहां तक कि जब मैं अपनी किताब लिख रहा था, मैं बहुत आश्वस्त नहीं था कि मुझे सार्वजनिक संवाद में कुछ और जोड़ना चाहिये। इसके अलावा मैं यह कहूंगा कि मौजूदा बैंकिंग संकट के लिए कुछ वजह मेरे कार्यकाल के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यकलापों अथवा निष्क्रियता भी हो सकती है।’

उन्होंने कहा, ...अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए था। सुब्बाराव की यह स्वीकारोक्ति उसके कुछ दिन बाद आई है जब रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक को खातों को साफ-सुथरा बनाने का काम पहले शुरू करना चाहिए था। राजन ने बैंकों के फंसे कर्ज के चलते बैंकों की बैंलेस शीट को साफ सुथरा बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया में लीमैन ब्रदर्स जैसा संकट फिर से होगा, पूर्व गवर्नर ने कहा, मुझे लगता है कि लीमैन जैसा संकट संभवत: नहीं होगा लेकिन अन्य संकट निश्चित रूप से संभव है। सुब्बाराव ने रिजर्व बैंक का गवर्नर रहते अपने स्मृतियों को समेटे हाल ही में ‘हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट’ नाम से किताब लिखी है। नौकरशाह से रिजर्व बैंक के गवर्नर बने सुब्बाराव ने कहा कि वित्त मंत्रालय से जाने के बाद चीजों को देखने का नजरिया बदल गया।

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TAGS: डी. सुब्बाराव, रिजर्व बैंक, पूर्व गवर्नर, एनपीए, फंसा कर्ज, संकट, केंद्रीय बैंक, रघुराम राजन
OUTLOOK 06 August, 2016
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